पानी है पर बाहर नहीं; पूंछ है पर बन्दर नहीं; दाढ़ी है पर मूंछ नहीं; आंख है पर जीभ नहीं। |
न भोजन खाता, न वेतन लेता; फिर भी पहरा डटकर देता। |
कल बनूं धड़ के बिन; मल बनूं सिर हीन; पैर कटे तो थोडा रहूँ; अक्षर हैं कुल तीन। |
आँखें हैं पर अंधी हूँ; पैर हैं पर लंगड़ी हूँ; मुँह है पर मौन हूँ; बतलाओ तो मैं कौन हूँ? |
मध्य कटे तो बाण बने; आदि कटे तो गीला; तीनों अक्षर साथ रहें; तो पक्षी बने रंगीला। |
एक पुरुष है चार नार; इनमें है प्यार अपार; कभी लगाते हैं यह मार; करते फिर भी सबको प्यार। |
एक तालाब रस भरा; बेल पड़ी लहराए; फूल खिला बेल पर; फूल बेल को खाए। |
दो अक्षर का मेरा नाम; हरदम रहता मुझे जुखाम; कागज़ है मेरा रुमाल; भईया मेरा क्या है नाम? |
सदा ही मैं चलती रहती; फिर भी कभी नहीं मैं थकती; जिसने मुझसे किया मुकाबला; उसका ही कर दिया तबादला; बताओ तो मैं हूँ कौन? |
लाल संत्री रंग है मेरा; आती हूँ मैं खाने के काम; सिर पर रहती हरियल चोटी; जल्दी बताओ मेरा नाम। |