जब टूटने लगे हौंसला तो बस यही याद रखना; बिना मेहनत के कभी तख्तो-ताज हासिल नहीं होते; ढूंढ लेना अंधेरों में भी तुम मंज़िल अपनी; क्योंकि जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते। |
जीवन के हर पल को ख़ुशी से बिताओ; आँसुओं को कर जीवन से बाहर हर पल मुस्कुराओ; लाख करे यह दुनिया तुम पर सितम; छोड़ कर पीछे सभी मुश्किलें बस आगे ही बढ़ते जाओ। |
जीवन में असली उड़ान अभी बाकी है; हमारे इरादों का इम्तिहान अभी बाकी है; अभी तो नापी है सिर्फ मुट्ठी भर ज़मीन; अभी तो सारा आसमान बाकी है। |
जियो इतना कि ज़िंदगी कम पड़ जाये; हँसों इतना कि रोना मुश्किल हो जाये; मंज़िल पर पहुँचना तो किस्मत की बात है; मगर मंज़िल को चाहो इतना कि खुदा देने पर मज़बूर हो जाये। |
ज़िंदगी से ना रखो कभी कोई शिकायत तुम; यह हँसने के देगी मौके हज़ारों तुम्हें; मुक़ाबला करो हँसते हुए परेशानियों का; अगर मुसीबत आये कोई ज़िंदगी में तुम्हें। |
सामने हो मंज़िल तो रास्ते ना मोड़ना; जो भी मन में हो वो सपना ना तोडना; कदम कदम पे मिलेगी मुश्किल सामने; बस देख कर उन्हें तुम हौंसला मत छोड़ना। |
मुश्किल नहीं इस दुनिया में कुछ भी; फिर भी ना जाने क्यों लोग अपनी डगर छोड़ देते हैं; हो अगर हौंसला कुछ कर गुज़रने का ज़िंदगी में; तो यह ज़मीन के पत्थर क्या आसमान के सितारे भी रास्ते से हट जाते हैं। |
जीत की चाहत का जुनून चाहिए; उबाल हो जिसमे ऐसा खून चाहिए; आ जायेगा यह आसमान भी जमीन पर; बस इरादों में जीत की गूँज चाहिए। |
जो सफर की शुरुआत करते हैं; वो ही मंज़िल को पार करते हैं; एक बार चलने का हौंसला रखो; मुसाफिरों का तो रास्ते भी इंतज़ार करते हैं। |
ज़िंदगी की हर उड़ान बाकी है; हर मोड़ पर एक इम्तिहान बाकी है; अभी तो तय किया है आधा सफर ज़िंदगी का; बढ़ते ही रहना है हौंसले से मंज़िल की तरफ; क्योंकि अभी तो मंज़िलों से आगे निकल जाना बाकी है। |