दीपक तो अँधेरे में ही जला करते हैं; फूल तो काँटो में ही खिला करते हैं; थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर; हीरे तो अक्सर कोयले में ही मिला करते हैं। |
नदी जब किनारा छोड़ देती है; राह की चट्टानों को भी तोड़ देती है; बात छोटी सी भी अगर चुभ जाये दिल में; तो ज़िंदगी के रास्ते और दिशा बदल देती है। |
हर जलते दीपक तले अँधेरा होता है; हर रात के बाद सवेरा होता है; लोग डर जाते हैं मुसीबतों को देखकर; पर मुसीबतों के बाद ही तो कामयाबी का सवेरा होता है। |
मांगो तो अपने रब से मांगो; जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत; लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना; क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी। |
मेरी मंज़िल मेरे करीब है; इसका मुझे एहसास है; गुमान नहीं मुझे इरादों प अपने; ये मेरी सोच और हौंसलों का विश्वास है। |
खुद पर विश्वास और कर्म पर हो आस्था; फिर कितनी ही आ जायें मुश्किलें मिल ही जाता है रास्ता। |
ख़्वाहिशों से नहीं गिरते महज़ फूल झोली में; कर्म की शाख को हिलाना पड़ता है; न होगा कुछ कोसने से अंधेरें को; अपने हिस्से का 'दिया' खुद ही जलाना होगा। |
हर कामयाबी पे आपका नाम होगा; आपके हर कदम पे दुनिया का सलाम होगा; मुश्किलों का सामना हिम्मत से करना; तो देखना एक दिन वक़्त भी आपका ग़ुलाम होगा। |
क्यों डरें कि ज़िंदगी में क्या होगा; हर वक़्त क्यों सोचें कि बुरा होगा; बढ़ते रहें मंज़िलों की ओर हम; कुछ ना भी मिला तो क्या तज़ुर्बा तो नया होगा। |
नदी की धार के विपरीत जाकर देखिये; हिम्मत को हर मुश्किल में आज़मा कर देखिये; आँधियाँ खुद मोड़ लेंगी अपना रास्ता; एक बार कोशिश करके दीपक जला कर तो देखिये। |