पानी से तस्वीर कहाँ बनती है; ख्वाबों से तकदीर कहाँ बनती है; किसी भी रिश्ते को सच्चे दिल से निभाओ; क्योंकि ये ज़िन्दगी फिर वापस कहाँ मिलती है। |
करीब इतना रहो कि सब रिश्तों में प्यार रहे; दूर भी इतना रहो कि आने का इंतज़ार रहे; रखो उम्मीद रिश्तों के दरमियान इतनी; कि टूट जाये उम्मीद मगर रिश्ते बरक़रार रहें। |
अकसर वही रिश्ता लाजवाब होता है, जो ज़माने से नहीं ज़ज़्बातों से जन्मा होता है। |
जो कोई समझ न सके वो बात हैं हम; जो ढल के नयी सुबह लाये वो रात हैं हम; छोड़ देते हैं लोग रिश्ते बनाकर; जो कभी न छूटे वो साथ हैं हम। |
रिश्ते काँच की तरह होते हैं; टूट जाएं तो चुभते हैं; इन्हे संभालकर हथेली पर सजाना; क्योंकि इन्हें टूटने मे एक पल; और बनाने मे बरसो लग जाते हैँ। |
खामोश चेहरे पर हज़ारों पहरे होते हैं; हँसती आँखों में भी ज़ख़्म गहरे होते हैं; जिनसे अक्सर रूठ जाते हैं हम; असल में उनसे ही तो रिश्ते और गहरे होते हैं। |
साथ रहते-रहते यूँ ही वक़्त गुजर जायेगा; दूर होने के बाद कौन किसे याद आएगा; जी ले ये पल जब हम साथ हैं; कल का क्या पता वक़्त कहाँ ले जायेगा। |
रिश्ते और रास्ते एक ही सिक्के के दो पहलू हैं; कभी रिश्ते निभाते निभाते रास्ते खो जाते हैं; और कभी रास्ते पर चलते चलते रिश्ते बन जाते हैं। |
कुछ मीठे पल याद आते हैं; पलकों पर आँसू छोड़ जाते हैं; कल कोई और मिल जाये तो हमें न भूलना; क्योंकि कुछ रिश्ते उम्र भर काम आते हैं। |
ना छुपाना कोई बात दिल में हो अगर; रखना थोड़ा भरोसा हम पर; हम निभाएंगे प्यार का यह रिश्ता इस कदर; कि भुलाने पर भी ना भुला पाओगे हमें ज़िंदगी भर। |