कुछ रिश्ते अनजाने में बन जाते हैं; पहले दिल से फिर ज़िंदगी से जुड़ जाते हैं; क्या कहते हैं उस दौर को; जिसमे अनजाने न जाने कब अपने बन जाते हैं। |
लोग रिश्ते बना कर यूँ तोड़ जाते हैं; बेवजह हमसे यूँ ही रूठ जाते हैं; मिलने पर राह में अजनबी कहते हैं; लगता है शायद यही दुनिया का दस्तूर कहलाता है। |
रिश्तों की ही दुनिया में अक्सर ऐसा होता है; दिल से इन्हें निभाने वाला ही रोता है; झुकना पड़े तो झुक जाना अपनों के लिए; क्योंकि हर रिश्ता एक नाजुक समझौता होता है। |
सच बोलता हूँ तो रिश्ते टूट जाते हैं; झूठ कहता हूँ तो खुद टूट जाता हूँ। |
कुछ मीठे पल याद आते हैं; पलकों पर आँसू छोड़ जाते हैं; कल कोई और मिल जाये तो हमें न भूलना; क्योंकि कुछ रिश्ते उम्र भर काम आते हैं। |
दूर हो जाने से रिश्ते नहीं टूटते; न ही सिर्फ पास रहने से जुड़ते हैं; ये तो दिलों के बंधन हैं इसलिए; हम तुम्हें और तुम हमें नहीं भूलते। |
कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो; कोई रूठे तो उसे मनाना सीखो; रिश्ते तो मिलते हैं मुक़द्दर से बस; उन्हें ख़ूबसूरती से निभाना सीखो। |
कुछ खूबसूरत पल याद आते हैं; पलकों पर आँसू छोड जाते हैं; कल कोई और मिले तो हमें ना भूलना; क्योंकि कुछ रिश्ते जिंदगी भर याद आते हैं। |
प्यार चीज़ नहीं जताने की; हमें आदत नहीं किसी को भुलाने की; हम इसलिए कम मिलते हैं आपसे; क्योंकि कुछ रिश्तों को नज़र लग जाती है ज़माने की। |
साथ नहीं रहने से रिश्ते नहीं टूटा करते; वक़्त की धुंध से रिश्ते नहीं छूटा करते; लोग कहते हैं कि मेरा सपना टूट गया; टूटती है नींद कभी सपने नहीं टूटा करते! |