इतनी बारिश हो रही है कि जनसँख्या बढ़ेगी ही बढ़ेगी! आखिर कब तक पकौड़े खायेगा कोई? |
लड़की: भोसड़ी के तेरी गाँड मार लूंगी। लडका: प्रतिभा तो बहुत है आपमें, लेकिन साधन नहीं है। |
दोस्त का उतना ख्याल रखो जितना झांटे साफ़ करते समय लंड का रखते हो! तभी जरूरत पड़ने पर तुम्हारे लिए खड़ा होगा! |
मोहन: जब मै छोटा था तब मेरा मुंडन हुआ, तो मै बहुत रोया था! अब्दुल: हमारी सुनेगा तो रूह क़ाप उठेंगी! |
दर्द सहने की अब कुछ यूँ आदत सी हो गयी है कि अब दर्द न मिले तो दर्द सा होता है। भावार्थ: लेखक भौसडी वाले को गांड मरवाने की आदत हो गई है! |
वह दिन दूर नहीं जब लोग कहेंगे यह छोटा वाला तो कोरोना के चक्कर में पैदा हो गया! |
चाहता तो हूँ कि ये दुनिया बदल दूँ पर... . . . . . . . चूत के जुगाड़ में लगे रहने से फुर्सत नहीं मिलती! |
क़ुदरत फटी हुई चीज़ों का इस्तेमाल कितनी ख़ूबसूरती से करता है! जैसे कि... - बादल फटने पर तेज़ बारिश आती है, - दूध फटने पर पनीर बनता है, - कंडोम फटने पर बच्चा! इसीलिये जब आपकी गांड फटे तो समझ लीजिये क़ुदरत आपका इस्तेमाल किसी बड़े काम के लिये करना चाहता है! इसीलिए फटने पर भी सदैव प्रसन्न रहें। |
लड़की ने दादी को पूछा: आपके ज़माने में इतने सारे बच्चे कैसे होते थे? दादी का सटीक जवाब: बेटी, अपने दादा जी को देख... आज भी जूते पहनते हैं, पर मोज़े नहीं! |
सुहागरात के बाद पति ने पत्नी से पूछा, "कैसा महसूस कर रही हो?" पत्नी (शरमाते हुए): आप ने तो मुझे कॉलेज के दिनों की याद दिला दी। |