कर दिया कुर्बान खुद को हमने वफ़ा के नाम पर; छोड़ गए वो हमको अकेला, मज़बूरियों के नाम पर। |
हम अपना दर्द किसी को कहते नही; वो सोचते हैं कि हम तन्हाई सहते नहीं; आँखों से आँसू निकले भी तो कैसे; क्योंकि सूखे हुए दरिया कभी बहते नहीं। |
ये प्यार की बातें किताबों में ही अच्छी लगती हैं; तन्हाई भरी महफ़िल दर्दे दिल से ही सजती है; तुम तो कर गए एक पल में पराया; तेरी यादें ही हैं जो हमें अपनी लगती हैं। |
वो देता है दर्द बस हमी को; क्या समझेगा वो इन आँखों की नमी को; लाखों दीवाने हों जिस के; वो क्या महसूस करेगा एक हमारी कमी को। |
हर चेहरे पर गुमान उसका था; बसा ना सका खाली मकान उसका था; लाखों दर्द मिट गए दिल से लेकिन; जो मिट ना सका वो एक नाम उसका था। |
दिल नहीं लगता आपको देखे बिना; दिल नहीं लगता आपके बारे में सोचे बिना; आँखें भर आती हैं यह सोच कर; कि किस हाल में होंगे आप हमारे बिना। |
बहुत चाहा पर उन्हें भुला ना सके; ख्यालों में किसी और को ला ना सके; किसी को देख कर आंसू तो पोंछ लिए; पर किसी को देख कर हम मुस्कुरा ना सके। |
थक गए हम उनका इंतज़ार करते-करते; रोए हज़ार बार खुद से तकरार करते-करते; दो शब्द उनकी ज़ुबान से निकल जाते कभी; और टूट गए हम एक तरफ़ा प्यार करते-करते। |
रात इतनी हसीन थी कि सारे सो रहे थे; हम ही ऐसे बदनसीब थे, जो आपकी याद में रो रहे थे। |
ग़म में हँसने वालों को कभी रुलाया नहीं जाता; लहरों से पानी को हटाया नहीं जाता; होने वाले हो जाते हैं खुद ही दिल से जुदा; किसी को जबर्दस्ती दिल में बसाया नहीं जाता। |