सोच को अपनी ले जाओ तुम उस शिखर तक; कि उसके आगे सारे सितारे भी झुक जाएं; न बनाओ अपने सफ़र को किसी कश्ती का मोहताज़; चलो इस शान से कि तूफ़ान भी झुक जाए। |
हथेली पर रखकर नसीब हर शख्स मुकद्दर ढूंढता है, सीखो उस समंदर से जो टकराने के लिए हमेशा पत्थर ढूंढता है। |
हर दिन अपनी ज़िन्दगी को एक नया ख्वाब तो दो; चाहे पूरा ना हो पर आवाज़ तो दो; एक दिन पूरे हो जायेंगे सारे ख्वाब तुम्हारे; सिर्फ कोशिश करके एक शुरुआत तो दो। |
अगर पाना है मंज़िल तो अपना रहनुमा खुद बनो; वो अक्सर भटक जाते हैं जिन्हें सहारा मिल जाता है। |
खुद पर भरोसा करना कोई परिंदो से सीखे, क्योंकि शाम को जब वो घोंसलों में जाते हैं तो उनकी चोंच में कल के लिए कोई दाना नहीं होता। |
जब टूटने लगे हौंसला तो इतना याद रखना, बिना मेहनत के कभी तख़्त-ओ-ताज हासिल नहीं होते; ढूंढ लेते हैं जुगनू अंधेरों में भी मंज़िल; क्योंकि जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते। |
पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादों को; उनके मुक़द्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं होते। |
मुश्किलें केवल बहतरीन लोगों के हिस्से में ही आती हैं, क्योंकि वो लोग ही उसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताकत रखते हैं। |
यह ज़रूरी नहीं कि हर लड़ाई जीती ही जाए; ज़रूरी तो यह है कि हर हार से कुछ सीखा जाए। |
ज़िन्दगी उसी को आजमाती है जो हर मोड़ पर चलना जानता है; कुछ खोकर तो हर कोई मुस्कुराता है पर ज़िन्दगी उसी की है, जो कुछ खोकर भी मुस्कुराना जानता है। |