रिश्तों की ही दुनिया में अक्सर ऐसा होता है; दिल से इन्हें निभाने वाला ही रोता है; झुकना पड़े तो झुक जाना अपनों के लिए; क्योंकि हर रिश्ता एक नाजुक समझौता होता है। |
नहीं बन जाता कोई अपना यूँ हीं दिल लगाने से; करनी पड़ती है दुआ रब से किसी को पाने में; रखना संभाल कर ये रिश्ते अपने; टूट ना जायें ये किसी के बहकाने से। |
जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें, आसूं भी मोती बन कर बिखर जायेंगें; ये मत पूछना किस-किस ने धोखा दिया, वर्ना कुछ अपनों के चेहरे उतर जायेंगें। |
सच बोलता हूँ तो रिश्ते टूट जाते हैं; झूठ कहता हूँ तो खुद टूट जाता हूँ। |
कुछ मीठे पल याद आते हैं; पलकों पर आँसू छोड़ जाते हैं; कल कोई और मिल जाये तो हमें न भूलना; क्योंकि कुछ रिश्ते उम्र भर काम आते हैं। |
दूर हो जाने से रिश्ते नहीं टूटते; न ही सिर्फ पास रहने से जुड़ते हैं; ये तो दिलों के बंधन हैं इसलिए; हम तुम्हें और तुम हमें नहीं भूलते। |
कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो; कोई रूठे तो उसे मनाना सीखो; रिश्ते तो मिलते हैं मुक़द्दर से बस; उन्हें ख़ूबसूरती से निभाना सीखो। |
कुछ खूबसूरत पल याद आते हैं; पलकों पर आँसू छोड जाते हैं; कल कोई और मिले तो हमें ना भूलना; क्योंकि कुछ रिश्ते जिंदगी भर याद आते हैं। |
लोग अक्सर कहते हैं, "I need a break." मगर ब्रेक चाहिए कहाँ? ज़ुबान पर? पैरों पर? दिमाग़ पर? या रिश्तों पर? |
कुछ रिश्ते उपरवाला बनाता है; कुछ रिश्ते लोग बनाते हैं; पर वो लोग बहुत खास होते हैं; जो बिना रिश्ते के कोई रिश्ता निभाते हैं। |