शाम सूरज को ढलना सिखाती है; शमा परवाने को जलना सिखाती है; गिरने वालो को तकलीफ़ तो होती है; पर ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है। |
मुश्किलें ही हमारे इरादे आज़माती हैं; ख्वाबों के परदे निगाहों से हटाती हैं; हौंसला मत हार गिर कर ओ मुसाफिर; ठोकरें ही तो इंसान को चलना सिखाती हैं। |
मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है; ज़िंदगी में हर मोड़ पर एक इम्तिहान होता है; डरने वालों को मिलता नहीं ज़िंदगी में कुछ भी; लड़ने वालों के क़दमों में सारा जहान होता है। |
ऐसा नहीं होगा कि रास्तों में रहमत नहीं होगी; पैरों के तेरे चलने की आदत नहीं होगी; अगर है कश्ती तो ना होगा किनारा कभी दूर; तेरे इरादों में अगर जीतने की चाहत बची होगी। |
जो देख कर मुश्किलों को सामने घबराते नहीं; रखते हैं भरोसा खुद पर हर काम के लिए रब के पास जाते नहीं; होते हैं वही कामयाब ज़िंदगी के इस इम्तिहान में; जो करते हैं हर मुश्किल का सामना और थक कर बैठ जाते नहीं। |
कोशिशों के बाद भी अगर कभी हो जाये हार; होकर निराश ना बैठना मन को अपने मार; बढ़ते रहना आगे सदा जैसा भी आ जाये समय; क्योंकि पा लेती हैं मंज़िल चींटी भी गिर कर बार-बार। |
ताश के पत्तों से कभी महल नहीं बनता; नदी को रोक लेने से कभी समंदर नहीं बनता; बढ़ते रहो ज़िंदगी में हर पल किसी नयी दिशा की ओर; क्योंकि सिर्फ एक जंग जीतने से कोई सिकंदर नहीं बनता। |
मायूस मत होना यह एक गुनाह होता है; मिलता वही है जो किस्मत में लिखा होता है; हर चीज़ मिले आसानी से यह ज़रूरी तो नहीं; मुश्किलों के दौर में ही तो हिम्मत का पता चलता है। |
ना कर आसमान की हसरत, ज़मीन की तलाश कर; सब है यहीं कहीं और ना तू कुछ तलाश कर; पूरी हो हर आरज़ू तो क्या मज़ा है जीने का; अगर जीना है तो किसी हसीन वजह की तलाश कर। |
बुझने लगी हों आँखें तेरी, चाहे थमने लगे रफ़्तार; उखड़ने लगी हों साँसे तेरी, दिल करता हो चित्कार; दोष विधाता को ना देना, बस मन में रखना तुम अपने आस; विजयी बनता है वही, जिसके पास हो आत्मविश्वास। |