अगर जिंदगी में जुदाई न होती; तो कभी किसी की याद न आई होती; अगर साथ गुजरा होता, हर लम्हा; तो शायद रिश्तों में इतनी, गहराई न होती। |
उसको चाहा पर इज़हार करना नहीं आया; कट गयी उम्र पर हमें प्यार करना नहीं आया; उसने कुछ माँगा भी तो मांगी जुदाई; और हमें भी इंकार करना नहीं आया। |
हम तेरे दिल में रहेंगे एक याद बनकर; तेरे लब पे खिलेंगे मुस्कान बनकर; कभी हमें अपने से जुदा न समझना; हम तेरे चलेंगे आसमान बनकर। |
ऐ दोस्त कभी ज़िक्र-ए-जुदाई न करना; मेरे भरोसे को रुस्वा न करना; दिल में तेरे कोई और बस जाये तो बता देना; मेरे दिल में रह कर बेवफाई न करना। |
हो जुदाई का सबब कुछ भी मगर; हम उसे अपनी खता कहते हैं; वो तो साँसों में बसी है मेरे; जाने क्यों लोग उसे मुझे जुदा कहते हैं। |
तेरे होते हुए भी तन्हाई मिली; वफ़ा करते भी देखो बुराई मिली; जितनी दुआ की तुम्हें पाने की; उस से ज्यादा तेरी जुदाई मिली। |
तू है मुझमें शामिल इस तरह; तेरा तसव्वर ज़िक्र भी करूँ किस तरह; चाहे दूर सही लेकिन तू है इस दुनिया में; तेरी उम्मीद रहते हुए मैं मरुँ किस तरह। |
हमें तो अपना दिल लगता अवारा है; जो चाहे चला जाए हमें ठुकरा के; रह लेंगे हम तो बस यूँ ही तन्हा; बस एक आपके जाने से रह जाएंगे हम तड़प के। |
मेरी चाहत में कोई खोट तो नहीं शामिल; फिर क्यों वो बार-बार आज़माए मुझे; दिल उसकी याद से एक पल भी नहीं जुदा; फिर कैसे मुमकिन है वो भूल जाए मुझे। |
मोहब्बत मुक़द्दर है एक ख्वाब नहीं; ये वो रिश्ता है जिस में सब कामयाब नहीं; जिन्हें साथ मिला उन्हें उँगलियों पर गिन लो; जिन्हें मिली जुदाई उनका कोई हिसाब नहीं। |