आध्यात्मिक Hindi SMS

  • इंसान जीवन में रिश्ते नातों को निभाता चला गया;<br/>
जीवन की इस दौड़ में खुद को भुलाता चला गया;<br/>
बंदगी भी ना कर पाया उस खुदा की रहमतों की;<br/>
खाली हाथ आया था और मुठी बंद कर चला गया।Upload to Facebook
    इंसान जीवन में रिश्ते नातों को निभाता चला गया;
    जीवन की इस दौड़ में खुद को भुलाता चला गया;
    बंदगी भी ना कर पाया उस खुदा की रहमतों की;
    खाली हाथ आया था और मुठी बंद कर चला गया।
  • प्रभु के आगे जो झुकता है वो सबको अच्छा लगता है;
    लेकिन, जो सबके आगे झुकता है वो प्रभु को अच्छा लगता है।
  • दौलत छोड़ी दुनिया छोड़ी सारा खज़ाना छोड़ दिया;
    वाहेगुरू के प्यार में दीवानों ने राज घराना छोड़ दिया; दरवाज़े पे जब लिखा हमने नाम हमारे वाहेगुरू का;
    मुसीबत ने दरवाज़े पे आना छोड़ दिया।
  • सिमरन कर लोगे तुम जितना, उतना ही अज्ञान मिटेगा;
    सुख-दुःख तुमको एक लगेंगे, जब सच्चा वो ज्ञान मिलेगा;
    जब औरों के काम आओगे. तब-तब जीवन सफल रहेगा;
    उससे मिलना फिर मुमकिन है, जब औरों का ध्यान रहेगा।
  • हिम्मत ना हारिये, उस मालिक को न बिसारिये;<br/>
मुश्किलों और कठिनाइयों का अगर करना है खात्मा;<br/>
तो हर वक़्त कहते रहो तेरा शुक्र है परमात्मा, तेरा शुक्र है परमात्मा।Upload to Facebook
    हिम्मत ना हारिये, उस मालिक को न बिसारिये;
    मुश्किलों और कठिनाइयों का अगर करना है खात्मा;
    तो हर वक़्त कहते रहो तेरा शुक्र है परमात्मा, तेरा शुक्र है परमात्मा।
  • मैं रोज़ गुनाह करता हूँ और खुदा मुझे माफ़ कर देता है;<br/>
मैं मज़बूर आदत से हूँ और वो मज़बूर अपनी रेहमत से है।Upload to Facebook
    मैं रोज़ गुनाह करता हूँ और खुदा मुझे माफ़ कर देता है;
    मैं मज़बूर आदत से हूँ और वो मज़बूर अपनी रेहमत से है।
  • तकदीर पे लिखे पर शिकवा न कर;
    तू अभी इतना समझदार नहीं कि रब के इरादे समझ सके।
  • इस दश्त के सेहरा को समंदर कर दे;<br/>
या मेरी आँख के हर अश्क को पत्थर कर दे;<br/>
या खुदा मैं और कुछ नहीं मांगता तुझ से;<br/>
मेरी चादर मेरे पैरों के बराबर कर दे।Upload to Facebook
    इस दश्त के सेहरा को समंदर कर दे;
    या मेरी आँख के हर अश्क को पत्थर कर दे;
    या खुदा मैं और कुछ नहीं मांगता तुझ से;
    मेरी चादर मेरे पैरों के बराबर कर दे।
  • प्रभु से यह मत कहो कि समस्या विकट है;
    बल्कि समस्या से कह दो कि मेरे प्रभु मेरे निकट हैं।
  • जब तेरी ररहमतों पर मेरी नज़र जाती है;
    ऐ खुदा! मेरी ये दो आँखें फिर भर आती हैं;
    तू दे रहा है मुझे हर चीज़ इस कदर;
    कि हाथ दुआ में उठने से पहले ही झोली भर जाती है।
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