मेरी औकात से बाहर मुझे कुछ न करने देना मालिक; क्योंकि ज़रूरत से ज्यादा रौशनी भी इंसान को अँधा कर देती है। |
ज़मीन पे सुकून की तालाश है, मालिक तेरा बंदा कितना उदास है; क्यों खोजता है इंसान राहत दुनिया में, जबकि हर मसले का हल तेरी अरदास है। |
साईं कहते हैं; उदास न हो मैं तेरे साथ हूँ; सामने नहीं आस-पास हूँ; पलकों को बंद करके दिल से याद करना; मैं और कोई नहीं तेरा विश्वास हूँ। |
जानना ही है तो उस खुदा को जानो, मेरी क्या हस्ती है; इन अनजान अजनबियों के बीच, अनजान मेरी मिट्टी है। |
जब मुझे यकीन है कि खुदा मेरे साथ है; तो इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन कौन मेरे खिलाफ है। |
संगीत सुनकर ज्ञान नहीं मिलता; मंदिर जाकर भगवान् नहीं मिलता; पत्थर तो लोग इसीलिए पूजते हैं; क्योंकि विश्वास के लायक इंसान नहीं मिलता। |
कहते है: ज़िंदगी का आखिरी 'ठिकाना' ईश्वर का घर है। कुछ अच्छा कर लें, मुसाफिर! किसी के घर 'खाली' हाथ नहीं जाते! |
बात किरदार में होती है; वरना क़द में साया भी इंसान से बड़ा होता है। |
प्रार्थना ऐसी करनी चाहिए जैसा कि; सब कुछ ईश्वर पर ही निर्भर है; और काम ऐसे करने चाहिए जैसे; कि सब कुछ हम पर निर्भर है। |
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते; तब तक आप भगवान पर भी विश्वास नहीं कर सकते। |