आध्यात्मिक Hindi SMS

  • है फिर भी सुकून कि 'तलाश' है;<br/>
मालिक तेरा बंदा कितना 'उदास' है;<br/>
क्यों खोजता है इंसान 'राहत';<br/>
जब कि दुनिया में सारे 'मसलों' का हल है तेरी 'अरदास' में!Upload to Facebook
    है फिर भी सुकून कि 'तलाश' है;
    मालिक तेरा बंदा कितना 'उदास' है;
    क्यों खोजता है इंसान 'राहत';
    जब कि दुनिया में सारे 'मसलों' का हल है तेरी 'अरदास' में!
  • को काहू को मित्र नहीं, शत्रु काहू को नाय;<br/>
अपने ही गुण दोष से, शत्रु मित्र बन जाय।Upload to Facebook
    को काहू को मित्र नहीं, शत्रु काहू को नाय;
    अपने ही गुण दोष से, शत्रु मित्र बन जाय।
  • बोली माहि कठोरता, प्रभु को नाहि सुहाय;<br/>
सोई जीभ माही हड्डी, प्रभु ने दीन्ही नाय। Upload to Facebook
    बोली माहि कठोरता, प्रभु को नाहि सुहाय;
    सोई जीभ माही हड्डी, प्रभु ने दीन्ही नाय।
  • यदि तुम अपनी इच्छा से नहीं, भगवान की इच्छा से ही चल रहे हो तो;
    सैकड़ों जन्म-मृत्युओं में जाना भी तुम्हारे लिये सौभाग्य और परमानन्द है।
  • हमने हर शाम चिरागों से सजा रखी है;<br />
मगर शर्त हवाओं से लगा रखी है;<br />
न जाने कौन सी राह से मेरे साईं आ जाएँ;<br />
हमने हर राह फूलों से सजा रखी है।Upload to Facebook
    हमने हर शाम चिरागों से सजा रखी है;
    मगर शर्त हवाओं से लगा रखी है;
    न जाने कौन सी राह से मेरे साईं आ जाएँ;
    हमने हर राह फूलों से सजा रखी है।
  • मेरी औक़ात से बाहर मुझे कुछ ना देना मेरे मालिक;<br />
क्योंकि<br />
ज़रूरत से ज्यादा रोशनी भी इंसान को अंधा बना देती है।Upload to Facebook
    मेरी औक़ात से बाहर मुझे कुछ ना देना मेरे मालिक;
    क्योंकि
    ज़रूरत से ज्यादा रोशनी भी इंसान को अंधा बना देती है।
  • कर ऐसी इनायत अए साहिबा तेरा शुकर मनाना आ जाए;<br />
हम बन्दे हैं बन्दों की तरह हमें प्यार निभाना आ जाए।Upload to Facebook
    कर ऐसी इनायत अए साहिबा तेरा शुकर मनाना आ जाए;
    हम बन्दे हैं बन्दों की तरह हमें प्यार निभाना आ जाए।
  • मैं और मेरा इश्वर, दोनों एक जैसे हैं। हम रोज़ भूल जाते हैं।
    वो मेरी गलतियों को और मैं उसकी
    .
    ..
    ...
    मेहरबानियों को।
  • तू अगर मुझे नवाज़े तो तेरा करम है मालिक;
    वर्ना तेरी रहमतों के काबिल मेरी बंदगी नहीं।
    ॐ साईं राम।
  • दुख मे सिमरन सब करे सुख में करे न कोए;
    जो सुख में सिमरन करे तो दुख काहे को होए।
    ~ Bhagat Kabir
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