कबीर दास जयंती Hindi SMS

  • कुटिल वचन सबतें बुरा, जारि करै सब छार।</br>
साधु वचन जल रूप है, बरसै अमृत धार।।</br>

कबीरदास जी कहते हैं कि कटु वचन बहुत बुरे होते हैं और उनकी वजह से पूरा बदन जलने लगता है। जबकि मधुर वचन शीतल जल की तरह हैं और जब बोले जाते हैं तो ऐसा लगता है कि अमृत बरस रहा है।</br>
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    कुटिल वचन सबतें बुरा, जारि करै सब छार।
    साधु वचन जल रूप है, बरसै अमृत धार।।
    कबीरदास जी कहते हैं कि कटु वचन बहुत बुरे होते हैं और उनकी वजह से पूरा बदन जलने लगता है। जबकि मधुर वचन शीतल जल की तरह हैं और जब बोले जाते हैं तो ऐसा लगता है कि अमृत बरस रहा है।
    कबीरदास जयंती की शुभकामनायें!
  • प्रेम-प्रेम सब कोइ कहैं, प्रेम न चीन्है कोय।</br>
जा मारग साहिब मिलै, प्रेम कहावै सोय॥</br>

कबीरदास जी कहते हैं कि प्रेम करने की बात तो सभी करते हैं पर उसके वास्तविक रूप को कोई समझ नहीं पाता। प्रेम का सच्चा मार्ग तो वही है जहां परमात्मा की भक्ति और ज्ञान प्राप्त हो सके।</br>
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    प्रेम-प्रेम सब कोइ कहैं, प्रेम न चीन्है कोय।
    जा मारग साहिब मिलै, प्रेम कहावै सोय॥
    कबीरदास जी कहते हैं कि प्रेम करने की बात तो सभी करते हैं पर उसके वास्तविक रूप को कोई समझ नहीं पाता। प्रेम का सच्चा मार्ग तो वही है जहां परमात्मा की भक्ति और ज्ञान प्राप्त हो सके।
    कबीरदास जयंती की शुभकामनायें!
  • माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,<br/>
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।<br/><br/>

अर्थ: कोई व्यक्ति लम्बे समय तक हाथ में लेकर मोती की माला तो घुमाता है, पर उसके मन का भाव नहीं बदलता, उसके मन की हलचल शांत नहीं होती। कबीर की ऐसे व्यक्ति को सलाह है कि हाथ की इस माला को फेरना छोड़ कर मन के मोतियों को बदलो या फेरो।<br/>
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    माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,
    कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।

    अर्थ: कोई व्यक्ति लम्बे समय तक हाथ में लेकर मोती की माला तो घुमाता है, पर उसके मन का भाव नहीं बदलता, उसके मन की हलचल शांत नहीं होती। कबीर की ऐसे व्यक्ति को सलाह है कि हाथ की इस माला को फेरना छोड़ कर मन के मोतियों को बदलो या फेरो।
    कबीर दास जयंती की शुभ कामनायें!
  • जब गुण को गाहक मिले, तब गुण लाख बिकाई।<br/>
जब गुण को गाहक नहीं, तब कौड़ी बदले जाई।<br/><br/>

अर्थ: कबीर कहते हैं कि जब गुण को परखने वाला ग्राहक मिल जाता है तो गुण की कीमत होती है। पर जब ऐसा ग्राहक नहीं मिलता, तब गुण कौड़ी के भाव चला जाता है॥<br/>
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    जब गुण को गाहक मिले, तब गुण लाख बिकाई।
    जब गुण को गाहक नहीं, तब कौड़ी बदले जाई।

    अर्थ: कबीर कहते हैं कि जब गुण को परखने वाला ग्राहक मिल जाता है तो गुण की कीमत होती है। पर जब ऐसा ग्राहक नहीं मिलता, तब गुण कौड़ी के भाव चला जाता है॥
    कबीर दास जयंती की शुभ कामनायें!
  • बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि,<br/>
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।<br/><br/>

अर्थ: यदि कोई सही तरीके से बोलना जानता है तो उसे पता है कि वाणी एक अमूल्य रत्न है। इसलिए वह ह्रदय के तराजू में तोलकर ही उसे मुंह से बाहर आने देता है।<br/>
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    बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि,
    हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।

    अर्थ: यदि कोई सही तरीके से बोलना जानता है तो उसे पता है कि वाणी एक अमूल्य रत्न है। इसलिए वह ह्रदय के तराजू में तोलकर ही उसे मुंह से बाहर आने देता है।
    कबीर दास जयंती की शुभ कामनायें!
  • तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय,<br />
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।<br />
~ कबीर दास<br /><br />

अर्थ:<br />
कबीर कहते हैं कि एक छोटे से तिनके की भी कभी निंदा न करो जो तुम्हारे पाँवों के नीचे दब जाता है। यदि कभी वह तिनका उड़कर आँख में आ गिरे तो कितनी गहरी पीड़ा होती है।<br />
भगत कबीर जयंती की बधाई!Upload to Facebook
    तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय,
    कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।
    ~ कबीर दास

    अर्थ:
    कबीर कहते हैं कि एक छोटे से तिनके की भी कभी निंदा न करो जो तुम्हारे पाँवों के नीचे दब जाता है। यदि कभी वह तिनका उड़कर आँख में आ गिरे तो कितनी गहरी पीड़ा होती है।
    भगत कबीर जयंती की बधाई!
  • बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि,<br />
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।<br />
~ कबीर दास<br /><br />

अर्थ:<br />
यदि कोई सही तरीके से बोलना जानता है तो उसे पता है कि वाणी एक अमूल्य रत्न है। इसलिए वह ह्रदय के तराजू में तोलकर ही उसे मुंह से बाहर आने देता है।<br />
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    बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि,
    हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।
    ~ कबीर दास

    अर्थ:
    यदि कोई सही तरीके से बोलना जानता है तो उसे पता है कि वाणी एक अमूल्य रत्न है। इसलिए वह ह्रदय के तराजू में तोलकर ही उसे मुंह से बाहर आने देता है।
    भगत कबीर जयंती की बधाई!
  • माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,<br/>
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।<br/><br/>

अर्थ: कोई व्यक्ति लम्बे समय तक हाथ में लेकर मोती की माला तो घुमाता है, पर उसके मन का भाव नहीं बदलता, उसके मन की हलचल शांत नहीं होती। कबीर की ऐसे व्यक्ति को सलाह है कि हाथ की इस माला को फेरना छोड़ कर मन के मोतियों को बदलो या फेरो।<br/>
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    माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,
    कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।

    अर्थ: कोई व्यक्ति लम्बे समय तक हाथ में लेकर मोती की माला तो घुमाता है, पर उसके मन का भाव नहीं बदलता, उसके मन की हलचल शांत नहीं होती। कबीर की ऐसे व्यक्ति को सलाह है कि हाथ की इस माला को फेरना छोड़ कर मन के मोतियों को बदलो या फेरो।
    शुभ कबीर जयंती!
  • पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय;<br/>
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय!<br/><br/>

अर्थ : बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर सभी विद्वान न हो सके। कबीर मानते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले, अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी होगा।<br/>
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    पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय;
    ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय!

    अर्थ : बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर सभी विद्वान न हो सके। कबीर मानते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले, अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी होगा।
    शुभ कबीर जयंती!
  • बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,<br/>
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।<br/><br/>
अर्थ : जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है।<br/>
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    बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
    जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

    अर्थ : जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है।
    कबीर दास जयंती की शुभ कामनायेँ!
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