मनुष्य का अपना क्या है? जन्म दूसरे ने दिया; नाम दूसरे ने दिया; शिक्षा दूसरे ने दी; काम करना भी दूसरे ने सिखाया; अंत में शमशान भी दूसरे ले जायेंगे। तुम्हारा अपना इस संसार में क्या है जो इतना घमंड करते हो। |
ज़िंदगी में टेंशन ही टेंशन है; फिर भी इन लबों पर मुस्कान है; क्योंकि जीना जब हर हाल में है; तो मुस्करा के जीने में क्या नुक्सान है। |
ज़िन्दगी पल-पल ढलती है; जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है; शिकवे कितने भी हो हर पल; फिर भी हँसते रहना... क्योंकि ये ज़िन्दगी जैसी भी है; बस एक ही बार मिलती है। |
ख़्वाहिश ऐसी करो कि आसमान तक जा सको; दुआ ऐसी करो कि खुद को पा सको; यूँ तो जीने के लिए पल बहुत कम हैं; जीयो ऐसे कि हर पल में ज़िंदगी पा सको! |
कैसे कहें कि ज़िंदगी क्या देती है; हर कदम पे ये दगा देती है; जिनकी जान से भी ज्यादा कीमत हो दिल में; उन्ही से दूर रहने की सज़ा देती है। |
चाह रखने वाले, मंज़िलों को ताकते नहीं; बढ़ कर थाम लिया करते हैं; जिनके हाथों में हो वक़्त की कलम; अपनी किस्मत वो खुद लिखा करते हैं। |
ज़िंदगी तो सभी के लिए एक रंगीन किताब है; फर्क है तो बस इतना कि कोई हर पन्ने को दिल से पढ़ रहा है; और कोई दिल रखने के लिए पन्ने पलट रहा है। |
हँसाने के बाद क्यों रुलाती है दुनिया; प्यार दे कर भी क्यों भूलती है दुनिया; ज़िन्दगी में क्या क़सर बाकी रह गयी थी; जो मर जाने के बाद भी जलाती है दुनिया। |
जिंदगी का सफ़र तो एक हसीन सफ़र है; हर किसी को किसी की तलाश है; किसी के पास मंजिल है तो राह नहीं; और किसी के पास राह है तो मंजिल नहीं। |
कोई खुद से भी प्यारा होता है; कोई तो दिल का सहारा होता है; जरूरी नहीं जिंदगी अपने लिए ही प्यारी हो; जिंदगी में कोई तो जिंदगी से भी प्यारा होता है। |