ऐ चाँद मुझे बता तू मेरा क्या लगता है; क्यों मेरे साथ तु सारी रात जागता है; मैं तो बन बैठा हूं दिवाना उनके प्यार में; क्या तू भी किसी से प्यार करता है। |
चलो आज ये दुनिया बांट लेते हैं; तुम मेरे और बाकी सब तुम्हारा। |
क्यों किसी से इतना प्यार हो जाता है; एक पल का इंतज़ार भी दुश्वार हो जाता है; लगने लगते हैं अपने भी पराये; और एक अजनबी पर ऐतबार हो जाता है। |
चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो; सांसों में मेरी खुशबु बन के बिखर जाते हो; कुछ यूँ चला है तेरे 'इश्क' का जादू; सोते जागते तुम ही तुम नज़र आते हो। |
तेरे नाम को होंटो पर सजाया है मैंने; तेरे रूह को अपने दिल में बसाया है मैंने; दुनिया तुम्हें ढूढ़ते-ढूढ़ते हो जायेगी पागल; दिल के ऐसे कोने में छुपाया है मैंने। |
राह ताकते हैं हम उनके इंतज़ार में; साँसे भरते हैं उनके एक दीदार में; रात न कटती है न होता है सवेरा; जबसे दिल के हर कोने में हुआ है आपका बसेरा। |
शाम के बाद मिलती है रात; हर बात में समाई हुई है तेरी याद; बहुत तनहा होती ये जिंदगी; अगर नहीं मिलता जो आपका साथ। |
चाँद निकलेगा तो दुआ मांगेंगे; अपने हिस्से में मुकदर का लिखा मांगेंगे; हम तलबगार नहीं दुनिया और दौलत के; हम रब से सिर्फ आपकी वफ़ा मांगेंगे। |
दिल की हसरत जुबां पर आने लगी; तुमको देखा और जिंदगी मुस्कुराने लगी; ये मेरी दोस्ती है या दीवानगी; हर सूरत पर तेरी सूरत नज़र आने लगी। |
सपना कभी साकार नहीं होता; मोहब्बत का कोई आकार नहीं होता; सब कुछ हो जाता है इस दुनियां में; मगर दोबारा किसी से प्यार नहीं होता। |