होके मायूस ना यूँ शाम की तरह ढलते रहिये, ज़िंदगी एक भोर है सूरज की तरह निकलते रहिये, ठहरोगे एक पाँव पर तो थक जाओगे, धीरे धीरे ही सही मगर राह पे चलते रहिये। |
जो हो गया उसे सोचा नहीं करते; जो मिल गया उसे खोया नहीं करते; हासिल उन्हें ही होती है सफलता; जो वक़्त और हालात पर रोया नहीं करते। |
ज़िंदगी चाहे एक दिन की हो या चाहे चार दिन की, उसे ऐसे जियो जैसे कि ज़िंदगी तुम्हें नहीं मिली, ज़िंदगी को तुम मिले हो। |
हार और जीत हमारी सोंच पर निर्भर है। मान लिया तो हार और अगर ठान लिया तो जीत। |
रेहमत खुदा की तेरी चौखट पे बरसती नज़र आये; हर लम्हा तेरी तक़दीर संवरती नज़र आये; बिन मांगे तुझे मिले तू जो चाहे; कर कुछ ऐसा काम कि दुआ खुद तेरे हाथों को तरसती नज़र आये। |
सीढ़ियाँ उनके लिए बनी हैं, जिन्हें छत पर जाना है, लेकिन जिनकी नज़र, आसमान पर हो उन्हें तो रास्ता ख़ुद बनाना है। |
कागज़ अपनी किस्मत से उड़ता है और पतंग अपनी क़ाबलियत से! किस्मत साथ दे या ना दे मगर क़ाबलियत ज़रूर साथ देगी। |
सूरज हर शाम को ढल ही जाता है, पतझड़ बसंत में बदल ही जाता है, मेरे मन मुसीबत में हिम्मत मत हारना, समय कैसा भी हो गुज़र ही जाता है। |
सोच को तुम अपनी ले जाओ शिखर तक; कि उसके आगे सारे सितारे भी झुक जायें; ना बनाओ अपने सफर को किसी कश्ती का मोहताज़; चलो इस शान से कि तूफ़ान भी झुक जाये। |
ज़िन्दगी उसी को आजमाती है; जो हर मोड़ पर चलना जानता है; कुछ खोकर तो हर कोई मुस्कुराता है; पर ज़िन्दगी उसी की है जो कुछ खोकर भी मुस्कुराना जानता है। |