निर्देशक: कृष
रेटिंग: ** 1/2
2002 में आई तमिल फिल्म 'रमन्ना' का रीमेक 'गब्बर इज़ बैक' पूरी तरह से अक्षय कुमार के स्टाइल वाली फिल्म है। उनकी सबसे हालिया कुछ फिल्मों की ही सीरीज जैसी ही फिल्म है 'गब्बर' जो एक सन्देश के साथ खत्म होती। अक्षय के स्टाइल में एक्शन दृश्य भरपूर संख्या में हैं। लेकिन फिल्म दर्शकों को कुछ हटके मनोरंजन देने में असफल प्रतीत होती है।
कृष द्वारा निर्देशित इस फिल्म की कहानी एक बार फिर से अक्षय कुमार की बाकी फिल्मों की तरह वास्तविक मुद्दों को लेकर चलती है। वहीं फिल्म के निर्देशक जो खुद दक्षिणी सिनेमा से हैं उनके द्वारा निर्देशित इस फिल्म में भी दक्षिणी टच साफ दिखाई पड़ता है। इस बार फिल्म के लिए जो मुद्दा चुना गया है, वह है 'भ्रष्टाचार'।
फिल्म की कहानी आदित्य उर्फ़ गब्बर (अक्षय कुमार) के चारों तरफ घूमती है जो एक नेशनल कॉलेज में एक प्रोफेसर है। एक ऐसा प्रोफेसर अपने विधार्थियों को बुराइयों को नजरअंदाज करने के बजाय उनसे लड़ना सिखाता है। लेकिन यही प्रोफेसर अपनी एक टीम के साथ मिलकर भ्रष्टाचार के लिए भी लड़ता है।
वहीं संधु (सुनील ग्रोवर) जो एक सब इन्स्पेकटर की काबिलियत के बावजूद कॉन्सटेबल के पद पर इसलिए चुना जाता है, क्योंकि उसके पास घूसखोरी के लिए पैसे नही हैं। वह अपने से बड़े पद के अधिकारीयों के लिए एक ड्राइवर व् नौकर के तौर पर काम करता है। लेकिन जब उसे गब्बर गैंग का पता चल जाता है तो वह भी उसके गैंग में शामिल हो जाता है। वहीं श्रुति हासन ने गूगल की शौक़ीन एक वकील का किरदार निभाया है। और करीना फिल्म में मेहमान लेकिन खूबसूरत भूमिका में हैं।
अगर फिल्म के दृश्यों की बात करने तो निर्देशक ने दृश्यों को और ज्यादा बेहतर बनाने के लिए ज्यादा मेहनत नही की है। फिल्म का स्क्रीन प्ले ठीक ठाक है। फिल्म का के संगीत को कुछ हद तक पसंद भी किया जा रहा है। फिल्म के किरदारों में अभिनय भी फिल्म हिसाब से ठीक-ठाक ही है। कुल मिलाकर अक्षय कुमार के पुराने स्टाइल में एक मसाला फिल्म है 'गब्बर'।