निर्देशक: सुजीत सरकार
रेटिंग: 3.5
सुजीत सरकार द्वारा निर्देशित और जूही चतुर्वेदी द्वारा लिखित बेहद खूबसूरत फिल्म है 'पीकू'। काफी समय के बाद सिल्वर स्क्रीन पर एक अर्थपूर्ण फिल्म देखने को मिल रही है।
फिल्म की कहानी एक 70 वर्षीय भास्कर बनर्जी (अमिताभ बच्चन) और उसकी बेटी पीकू (दीपिका पादुकोण) की है। दिल्ली में रहने वाले इस छोटे से परिवार में जहाँ पीकू एक आत्मनिर्भर लड़की है वहीं उसके पिता कब्ज़ जैसी परेशानी से जूझ रहे हैं। वहीं पीकू की जिंदगी भी अपने पिता की इस परेशानी को झेलते हुए और टॉयलेट के चारों तरफ घुमते हुए गुजर रही है। जिस से उसका करियर मूड और जिंदगी सब प्रभावित हो रहा है। यहाँ तक कि कोई भी सभ्य आदमी उस से शादी के लिए भी तैयार नहीं है।
वहीं इन बाप बेटी की खुद की परेशान जिंदगी में एक और शख्स है राणा चौधरी। पेशे से असफल इंजीनियर, लेकिन जिंदगी के बुरे से बुरे दौर में भी वह बेहद सहज और मजाकिया मूड में रहने वाला एक सहज इंसान है।
फिल्म में कलाकारों के अभिनय की जितनी सरहाना की जाए कम है। दीपिका पादुकोण, अमिताभ बच्चन और इरफ़ान खान तीनों की एक साथ अभिनय जुगलबंदी सुपर से उपर है।
फिल्म के दृश्य, उसका फिल्मांकन और अभिनय बिलकुल भी बनावटी नहीं है। फिल्म को एक भव्य तरीके से दिखाने के बजाय हमारे वास्तविक समाज को उसी तरह से दिखाती है जैसा कि वह है। निर्देशक और निर्माता जिन वास्तविक चीजों का अपनी फिल्मों में जिक्र करते हुए भी डरते हैं उन्ही मुद्दों और चीजों को फिल्म में बेहद सहजता से दिखाया गया है।
कहा जा सकता है कि कमर्शियल और मसाला फिल्मों से हटकर अर्थपूर्ण और संजीदा सी यह फिल्म, देखने लायक है।