महेश भट्ट ने देश में बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा, "इस तरह के कृत्य हमारे संविधान के लिए 'उपहास' हैं और भारत के लोकतंत्र के होने दावे को 'झूठा' ठहराते हैं।" फिल्मकार ने कहा कि वह इस बात से खुश हैं कि देश ने एकजुट होकर इन कृत्यों का जवाब दिया है। स्याही हमला, पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली का कार्यक्रम रद्द होना और फवाद खान व माहिरा खान जैसे कलाकारों को महाराष्ट्र में आकर काम करने से रोका जाना देश के लोकतंत्र पर एक बहुत बड़ा सवाल है।
महेश भट्ट ने एक साक्षात्कार में बताया, "ऐसे कृत्य एक तरह से हमारे संविधान का उपहास है। पुलिस के लिए शर्मनाक है और भारत के लोकतांत्रिक देश होने के दावे को झूठा ठहराते हैं। अल्पसंख्यकों के मन में खामखा भय पैदा करना किसी व्यक्ति और समाज के लिए सही नहीं है।"
भारत और पाकिस्तान के बीच सामंजस्य बनाते हुए भट्ट अपना नाटक 'मिलने दो' लेकर आ रहे हैं। यह नाटक दोनों देशों के कलाकारों का सहयोगात्मक प्रयास है।फिल्मकार ने कहा, "नाटक 'मिलने दो' थिएटर के जरिए सबके सामने आएगा। थिएटर के दर्शक सीमित होते हैं, लेकिन यह आम लोगों की विचारधारा को दर्शाता है।"
इस नाटक का मंचन दिल्ली के श्रीराम सेंटर में 24 अप्रैल को होगा। इसके बाद इसे भारत और पाकिस्तान के कई अन्य शहरों में भी प्रदर्शित किया जाएगा। 'मिलने दो' नफरतों के बीच दो संस्कृतियों के लोगों के गहन प्रेम की कहानी है।
भट्ट की आगामी फिल्म 'दुश्मन' भी दोनों देशों के बीच सामंजस्य की ओर एक अगला कदम है। इस फिल्म में दो देशों के बीच दोस्ती एक नया अध्याय दर्शाएगी। फिल्मकार ने कहा, "आगामी फिल्म 'दुश्मन' एक पंजाबी फिल्म है, क्योंकि मेरा मानना है कि आज के समय में देशभर में क्षेत्रीय सिनेमा का महत्व बढ़ता जा रहा है। भारत अब बॉलीवुड में नहीं बसता। भारत की आवाज अब बॉलीवुड के अलावा बंगाल, केरला, पंजाब आदि में सुनाई देती है।"
हिंदी फिल्म जगत से करीब चार दशकों से जुड़े रहने वाले भट्ट अब टेलीविजन के एपिक चैनल के धारावाहिक 'ख्वाबों का सफर विद महेश भट्ट' में नजर आ रहे हैं।