ये लोग हाथों में तख्तियां और बैनर तथा पोस्टर भी लिए हुए थे और सहिष्णु भारत-सहिष्णु भारत के नारे लगा रहे थे। राजधानी में स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय के सामने आज सुबह करीब 11 बजे सरकार समर्थक लेखकों-कलाकारों का जमावड़ा शुरू हुआ और मार्च की शक्ल लेता हुआ राष्ट्रपति भवन की तरफ कूच किया और करीब एक घंटे के भीतर ही विजय चौक के पास पहुंचा, लेकिन पुलिस ने इन कलाकरों को आगे जाने से रोक दिया।
तब खेर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात करने गया और उन्होंने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात कर एक ज्ञापन भी सौपा। खेर ने पत्रकारों से कहा कि भारत न कभी असहिष्णु देश था और न आज ऐसा है। वह हमेशा से सहिष्णु तथा धर्मनिरपेक्ष देश रहा है, लेकिन कुछ छद्म धर्मनिरपेक्ष लोग पुरस्कार लौटाकर गलत कर रहे हैं। अगर उन्हें कोई समस्या है तो उन्हें प्रधानमंत्री से अपनी बात कहनी चाहिए थी। घर में भी कोई समस्या होती है तो हम परिवार के मुखिया से अपनी बात कहते हैं, लेकिन उन्होंने दरवाजा खटखटाने की बजाय पुरस्कार लौटाने शुरू कर दिए। उन्होंने कहा कि हर देश में कोई न कोई समस्या रहती है लेकिन हम अपने देश को असहिष्णु देश नहीं कह सकते हैं। जाने माने फिल्म निर्माता मधुर भंडाकर ने कहा कि यह एक सांकेतिक मार्च है और हम भारत के लिए मार्च कर रहे हैं।