महानायक ने यहां शनिवार को 21वें कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव के उद्घाटन पर कहा, ''आज की दुनिया में मनोरंजन जगत में फिल्में संवाद का सर्वाधिक व्यापक रूप हैं। आज दुनिया के संदर्भ में हमें एक-दूसरे से अधिक बातचीत करने, एक-दूसरे की सुनने तथा एक-दूसरे को समझने की जरूरत है और सिनेमा इसके लिए सर्वश्रेष्ठ माध्यम है।
उन्होंने राष्ट्रगान के रचयिता व नोबेल पुरस्कार विजेता रबिंद्रनाथ टैगोर के छंद का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रगान के बोल 'भारत की विविधता एवं समानता' पर रोशनी डालते हैं। अमिताभ ने कहा कि ऐसे में जबकि दुनिया में संस्कृति पर जिरह हो रही है और समुदायों के खिलाफ पूर्वाग्रह उमड़-घुमड़ रहे हैं, हम सबके बीच एक बेहतर संवाद की जरूरत है।