टैगोर ने युवापीढ़ी का समर्थन करते हुए यहां आईएएनएस को एक साक्षात्कार में कहा, "मैं लंबे समय से काम करती रही हूं। एक समय आता है जब युवा पीढ़ी मोर्चा संभालती है। यह बेहद युवा लोगों का देश है और स्क्रीन पर भी युवाओं की मांग है। यह बेहद अच्छा है। हमारे पास आत्मविश्वास से भरी युवा पीढ़ी है जो दुनिया का मुकाबला करने को तैयार है।"
कई बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकीं इस अदाकारा को दर्शकों को हर फिल्म में अलग रूप में देखने का मौका मिला।
ऋषिकेश मुखर्जी की 'अनुपमा' से लकर शक्ति सामंत की 'कश्मीर की कली' जैसी कई फिल्मों में शर्मिला की अदाकारी अलोचनात्मक और व्यावसायिक सफलता का एक मिलाजुला रूप थी, वह भी ऐसे दौर में जब महिलाओं को सहायक भूमिकाएं ही मिलती थीं।
टैगोर ने कहा, "हमारी जगह कायम है क्योंकि भारत में वरिष्ठों का भी सम्मान होता है, लेकिन हमें भी ख्याल रखना चाहिए कि हम युवा पीढ़ी पर खुद को न थोपें और ऐसा व्यवहार न करें जैसे कि हम युवाओं से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। ताकि हम सबके लिए अपनी जगह बनी रहे।"
'एन इवनिंग इन पेरिस' में बिकनी पहनकर तहलका मचाने वाली और 'अराधना' में बेहद दमदार भूमिका निभाने वाली शर्मिला ने अपनी हर भूमिका को बेहद सफलता से निभाया था।
शर्मिला ने कहा, "यह आत्मविश्वास केवल सत्यजीत राय के साथ काम करने से नहीं आता बल्कि अनुभव से आता है। वे मेरे आदर्श थे, लेकिन मैंने तपन सिन्हा, असित सेन और त्रषिकेश मुखर्जी जैसे कई महान निर्देशकों के साथ काम किया है। इसलिए आज मैं जो कुछ भी हूं, उसमें सभी का योगदान है।"
क्या उन्होंने युवा पीढ़ी से कुछ सीखा है, यह पूछे जाने पर शर्मिला ने कहा, "सोहा ने मुझे कम सामान लेकर यात्रा करना सिखाया है और मैं युवाओं को देखकर कुछ हद तक तनाव मुक्त रहना भी सीख गई हूं। आज की पीढ़ी तनाव मुक्त रहती है और एक साथ कई काम करती है।"