चार दशकों से फिल्म उद्योग में सशक्त मौजूदगी दर्ज कराने वाले बेदी ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, `भारत में भी अमेरिकी शैली में फिल्में बनने लगी हैं। पहले हमें फिल्म बनाने में काफी समय लगता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। स्पेशल इफैक्ट्स के मामले में जहां हॉलीवुड बेहतर है, वहीं सामग्री की विविधता के मामले में भारतीय सिनेमा में तेजी से विस्तार हो रहा है।`
उन्होंने कहा, `बॉलीवुड का नाच गाना उसकी खासियत है जिसका अब काफी सम्मान किया जाता है। कोई भी बॉलीवुड से बेहतर नाच गा नहीं सकता। यहां तक कि ब्रॉडवे भी नहीं।`
कबीर की प्रचलित इतालवी टीवी श्रृंखला 'सैंडोकन' ने 1970 के दशक के अंत में यूरोप और लैटिन अमेरिका में तहलका मचा दिया था। पिछले साल उन्होंने भारत में उसकी डीवीडी लॉन्च की थी।
बेदी ने युवा फिल्मकारों की सराहना करते हुए कहा कि वे ऐसी फिल्में बनाने लगे हैं जिन्हें विश्व भर के दर्शक पसंद करते हैं।
पुराने और नए दौर की फिल्मों के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, `मैं लंबे समय से इस उद्योग में हूं और मानता हूं कि हर दौर में हमने अच्छी और बुरी हर प्रकार की फिल्में बनाई हैं, लेकिन पुराने दौर की फिल्मों में हम केवल अच्छी फिल्मों को याद रखते हैं, बुरी फिल्मों को नहीं।`
दुनियाभर में कई फिल्म समारोह आयोजित किए जाने को विभिन्न देशों के फिल्मकारों को एक दूसरे से मिलने का अच्छा मंच बताते हुए उन्होंने कहा, `जितने ज्यादा फिल्म समारोह होंगे उतना ही बेहतर है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए फिल्मकारों से मिलने पर अच्छे विचारों के आदान-प्रदान और समन्वय की संभावना होती है।`
आगामी योजनाओं पर बेदी ने कहा कि भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करने का कोई औचित्य नहीं है। बेहतर है कि जो वर्तमान में चल रहा है उस बारे में बात की जाए।