आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार करोड़ों की लागत वाली यह बेशकीमती जमीन सांसद हेमा मालिनी को केवल 70,000 रुपये में आवंटित कर दी गई। उन्होंने बताया, 'इतना ही नहीं, हेमा मालिनी को मुंबई के पॉश इलाके में भूमि आवंटित करने का यह दूसरा वाकया है। इससे पहले 1997 में शिवसेना-बीजेपी की गठबंधन सरकार के दौरान भी उन्हें एक भूमि आवंटित की गई थी, लेकिन वह भूमि चूंकि तटवर्ती नियमन क्षेत्र (सीआरजेड) में आता था इसलिए वह उस पर निर्माण नहीं करा सकीं।'
गलगली ने कहा कि हेमा ने अभी तक पहले आवंटित की गई जमीन वापस नहीं लौटाई है और सरकार ने सभी नियमों को ताक पर रखते हुए दूसरी जमीन भी आवंटित कर दी। उन्होंने मामले की जांच की भी मांग की है।
आरटीआई एक्टिविस्ट गलगली ने बताया कि एक तरफ बीजेपी उन सभी संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है जो जमीन का गलत इस्तेमाल कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ पार्टी हेमा मालिनी की गलत तरीके से मदद कर रही है। हेमा को जमीन 1976 के दाम पर दी गई है जिससे सरकार को भारी नुकसान पहुंचा है।