यहां अपनी नई फिल्म 'साला खडूस' के प्रचार के मौके पर हिरानी ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा, "मैं बोलने वक्त बहुत सतर्क रहता हूं, क्योंकि मैं नहीं जानता कि मेरी बातों को कैसे लिया जाएगा, इसलिए मैं बोलना पसंद नहीं करता। क्योंकि अगर हम कुछ भी कहते हैं तो लोग सोशल मीडिया पर हमें कोसना शुरू कर देती है।"
उन्होंने कहा कि उनके करीबी आमिर खान के साथ भी यही हुआ, असहिष्णुता के मुद्दे पर उनकी बात को अलग ढंग से लिया गया।
हिरानी ने कहा, "ऐसी बात जब बाहर जाती है तो उसकी सच्चाई जाने, परखे बिना पूरा देश उसे वैसे ही ले लेता है। मीडिया जो लिखता है, लोग वही समझते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि मीडिया इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। मुझे लगता है कि आमिर के साथ यह ठीक नहीं हुआ, क्योंकि उन्होंने देश के लिए काफी अच्छा किया है।"
इसी कारण हिरानी अपनी फिल्मों के माध्यम से अपनी बात कहते हैं। 'मुन्नाभाई', 'पीके' या '3 इडियट्स' में मनोरंजन के साथ दिए गए उनके संदेश को दर्शकों ने बेहद पसंद किया है।
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि उनकी फिल्में देश को बदल पाएंगी, लेकिन उन्हें यह जरूर लगता है कि उनकी फिल्में कुछ लोगों में तो अवश्य बदलाव ला पाएंगी। हिरानी ने कहा, "कोई भी अगर अच्छी फिल्म देखता है या अच्छी किताब पढ़ता है तो वह उससे प्रभावित होता है और इसी प्रकार बदलाव आता है। मेरी फिल्मों को देखने के बाद काफी छात्रों ने मुझसे अपने विचार साझा किए। वे कहते हैं कि 'पीके' एक बेहतरीन फिल्म थी और उससे लोगों के विचारों में बदलाव आया है। फिल्म ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर किया कि हम धर्म के नाम पर क्यों लड़ रहे हैं?"
हालांकि समाज के एक अन्य वर्ग ने 'पीके ' को पसंद नहीं किया और उन्होंने कहा कि इसमें हिंदू धर्म का अपमान किया गया था। हिरानी ने कहा, "मीडिया के कुछ लोग भी इसके लिए जिम्मेदार हैं और उससे भी बढ़ कर सोशल मीडिया इसके लिए जिम्मेदार है। सोशल मीडिया पर इतना जहर उगला जा रहा है और ज्यादातर लोग गैर जिम्मेदाराना रवैये से संदेश साझा करने लगते हैं। यह सचमुच बेहद आश्चर्यजनक है।"
हिरानी के मुताबिक, कोई एक व्यक्ति या राजनेता यह नहीं कर रहा। हिरानी ने आशंका जताई कि जो भी हो रहा है, उसके परिणामस्वरूप कुछ सालों बाद हमारे भविष्य की पीढ़ियों के लिए सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ चुका होगा।