हालांकि यहां एक पाकिस्तानी राजनयिक ने कहा कि उन्होंने वीजा के लिए आवेदन ही नहीं दिया है।
अनुपम ने ट्विटर पर लिखा, "मुझे बताया गया है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कराची साहित्य महोत्सव में शरीक होने के लिए मेरा वीजा आवेदन रद्द कर दिया है। साल में दूसरी बार वीजा देने से इंकार किया जाना दुखद है, जबकि लगभग 17 लोग इस महोत्सव में बतौर अतिथि शरीक होंगे।"
पिछले साल मई में भी अनुपम को वीजा देने से मना कर दिया गया था। तब वह एक एनजीओ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के लिए लाहौर जाने वाले थे, लेकिन सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उन्हें वीजा देने से इंकार कर दिया गया था।
इस बार उन्हें तीन दिवसीय कराची साहित्य महोत्सव में बतौर अतिथि आमंत्रित किया गया था।
अनुपम ने इस पर रोष प्रकट करते हुए ट्विटर पर लिखा, "क्या मुझे वीजा देने से इसलिए मना कर दिया गया, क्योंकि मैं भारत की सहिष्णुता की संपन्न संस्कृति के बारे में बात करता हूं या इसलिए कि मैं कश्मीरी पंडित हूं और पाकिस्तान और आतंकियों के बीच गठजोड़ का पर्दाफाश कर दूंगा? भारत सरकार पाकिस्तानी लेखकों, कलाकारों आदि का स्वागत करती है और पाकिस्तान भारतीय अभिनेताओं के आने पर प्रतिबंध लगाती है। खुली बातचीत से डर कैसा।"
उन्होंने लिखा, "क्या पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भारत में स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग को मेरा वीजा आवेदन रद्द करने को नहीं कहा? तथ्यों को जानबूझ कर छिपाया जा रहा है। पाकिस्तानी उच्चायोग को अपने नियमों की जानकारी होनी चाहिए। कराची साहित्य महोत्सव ने प्रशासन को मेरा नाम दिया था और उनके सभी पोस्टरों पर भी मेरा नाम है। "
अनुपम ने कहा कि पाकिस्तान में जो लोग मुझसे मिलने का इंतजार कर रहे थे, उनके लिए दुख है।
पाकिस्तान उच्चायोग के एक राजनयिक मंजूर अली मेमन ने हालांकि आईएएनएस से कहा, "अनुपम खेर ने वीजा आवेदन नहीं दिया है। उनसे पूछा जाए कि क्या उनके पास आवेदन की कोई रसीद है।"
अनुपम ने एक टीवी चैनल से कहा, "इस स्पष्टीकरण पर हंसी आनी चाहिए।"