इसके साथ एक टैगलाइन में लिखा है, `यह केवल एक यात्रा नहीं है। यह उनका जीवन है। यात्रा के लिए इस्तेमाल होने वाले हाथियों को बांधा जाता है और मारा जाता है।` तेलुगू फिल्मों में नजर आने वाले अभिनेता ने अपने बयान में कहा, `पशुओं के लिए यह यात्रा मजेदार नहीं होती।
मुझे नहीं लगता कि यह अच्छी बात है कि जबरन किसी को उसकी इच्छा के विरुद्ध काम करने के लिए दबाव डाला जाए।` पेटा कमीशन द्वारा नेपाल और जयपुर में 'ज्वॉयराइड' के लिए इस्तेमाल होने वाले हाथियों की जांच से यह सामने आया है कि टस्कर्स शीरीरिक और भावनात्मक रूप से हाथियों के साथ बहुत बुरा व्यवहार करते हैं।
पेटा के एक बयान में कहा गया है कि जब नन्हे हाथी दो वर्ष के होते हैं, तो उन्हें उनकी मां से अलग करके पेड़ों के बीच भारी लोहे की चैनों से बांध दिया जाता है, जिसके कारण उन्हें काफी चोटें भी आती हैं।