डायरेक्टर: नितेश तिवारी
रेटिंग: ***1/2
क्या आप भी अपनी कॉलेज लाइफ को एक बार फिर जीना चाहते हैं, क्या आप भी सोचते हैं की काश टाइम मशीन मिल जाये तो उन दिनों में वापस चले जाएँ, क्या आप भी अपने फुकरे और छिछोरे दोस्तों को मिस करते हैं? तो डायरेक्टर नितेश तिवारी की 'छिछोरे' आपको एक मौका देती है वक़्त में वापस जा कर एक बार फिर अपने कॉलेज के दिनों को जीने का.
सुशांत सिंह राजपूत और श्रद्धा कपूर की ये फिल्म कॉलेज की यादों और मौज मस्ती के साथ - साथ इमोशंस से भरी हुई है. छिछोरे वो फिल्म है जो थिएटर से निकलने के बाद भी कई दिन तक आपके साथ रहेगी, हो सकता है फिल्म देख कर आप जिन दोस्तों से सालों से नहीं मिले आपका उनसे मिलने का भी मन करने लगे.
छिछोरे कहानी है 7 दोस्तों, अनिरुद्ध उर्फ़ अन्नी (सुशांत सिंह राजपूत), माया (श्रद्धा कपूर), सेक्सा (वरुण शर्मा), डेरेक (ताहिर राज भसीन), एसिड (नवीन पोलीशेट्टी), मम्मी (तुषार पाण्डेय) और बेवडा (सहर्ष शुक्ला) की, जो कॉलेज से ग्रेजुएट होने के कई साल बाद एक बार फिर मिलते हैं जब अन्नी के साथ एक ट्रेजेडी हो जाती है.
अन्नी का बेटा राघव, इंजीनियरिंग कॉलेज के एंट्रेंस एग्जाम क्लियर नहीं कर पाने के कारण प्रेशर में आकर आत्महत्या करने की कोशिश करता है जिससे अन्नी टूट जाता है. राघव जो खुद को एक लूज़र समझने लगता है जिसे देख कर अन्नी को अपने कॉलेज के दिनों और उन लूज़र दोस्तों की याद आती है जिन्होंने फाइटर बनने की ठानी.
जिसके बाद अन्नी अपने दोस्त सेक्सा को फ़ोन करके बुलाता है और अपनी पत्नी माया जिससे उसका तलाक हो चुका है उसके साथ मिलकर अपने बेटे का हार और ज़िन्दगी के तरफ नजरिया बदलने के लिए उसे अपनी कहानी सुनाता है जिसके बाद किस तरह सातों दोस्त फिर एक बार मिलते हैं ये फिल्म की कहानी है.
छिछोरे का स्क्रीनप्ले मज़बूत है जो की फिल्म देखते वक़्त आपको अपने कॉलेज के दिनों के फ्लैशबैक में ले जाता है. स्क्रीन पर दिख रहे किरदार बढ़िया ढंग से पिरोये गए हैं जिनके साथ आप खुद को ज़रूर जोड़ कर देख पाएँगे खासकर अगर आप भी कभी हॉस्टल में रहे हैं या फिर इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़े हैं और इस इसके लिए नितेश तिवारी के निर्देशन की तारीफ तो बनती है.
छिछोरे की कहानी पास्ट और प्रेजेंट के बीच घूमती है जो की कुछ जगहों पर फिट नहीं बैठता है, फिल्म में इमोशनल सीन्स को खींचा गया है जिन्हें कम किया जा सकता था और फिल्म का रनटाइम छोटा हो सकता था.
इसके बावजूद नितेश तिवारी की छिछोरे कॉलेज का पहला प्यार, पहली एडल्ट मैगज़ीन, पहला पेग, दोस्ती, मस्ती, शरारतें, हॉस्टल लाइफ और हर वो चीज़ जिसे हम अपनी कॉलेज लाइफ में एक्सपीरियंस करते हैं उसका सटीक मिश्रण है.
फिल्म के सभी किरदार अपने नाम, सेक्सा (वरुण शर्मा), एसिड (नवीन पोलीशेट्टी), मम्मी (तुषार पाण्डेय) और बेवडा (सहर्ष शुक्ल) की ही तरह मजेदार हैं और आपको ख्होब हंसाते हैं.
सुशांत सिंह राजपूत, श्रद्धा कपूर, वरुण शर्मा, प्रतीक बब्बर, ताहिर राज भसीन, नवीन पोलीशेट्टी, और तुषार पाण्डेय, सभी कलाकारों ने अपने - अपने किरदार के साथ पूरा इन्साफ किया है ख़ासकर वरुण शर्मा ने.
ठरकी सेक्सा के किरदार में वरुण शर्मा इतने बढ़िया और मजेदार लगे हैं की 'फुकरे' के 'चूचा' के बाद 'सेक्सा' एक और ऐसा किरदार है जो आने वाले कई सालों तक वरुण ने नाम के साथ जुड़ा रहने वाला है. सेक्सा जब - जब स्क्रीन पर आता है आपको हंसा के ही जाता है. बॉलीवुड फिल्मों में पिछले कुछ सालों में दिखा सबसे मजेदार और फनी किरदार अगर हमें कोई लगा है तो वो है 'सेक्सा'.
छिछोरे का म्यूजिक बढ़िया है जो स्क्रीनप्ले के साथ चलता है. प्रीतम ने इस बार भी बढ़िया काम किया हैं. सुशांत सिंह राजपूत और श्रद्धा कपूर का नया- नया रोमांस दर्शाता गान 'खैरियत' आपको अपने कॉलेज के प्यार की याद दिला देगा अगर आपकी भी कोई गर्लफ्रेंड थी तो, नहीं थी तो आप 'सेक्सा' से रेलेट कर ही सकते हैं.
नितेश तिवारी 'दंगल' के बाद फिर स्क्रीन अपना जादू चलाने में कामयाब रहे हैं. छिछोरे देख कर आपको कई जगह '3 इडियट्स' और 'स्टूडेंट ऑफ़ द इयर' की याद भी आएगी, फिल्म में एक सोशल मेसेज देने की भी कोशिश की गयी है मगर इसके बावजूद नितेश तिवारी की 'छिछोरे' अलग है और अपने नाम पर खरती उतरती है.
कुल मिलाकर अगर आप फिर एक बार अपने कॉलेज के दिनों को जीना चाहते हैं तो छिछोरे ज़रूर देखें. फिल्म हर वर्ग के छिछोरों के लिए है, तो अपने दोस्तों के साथ जाइये और थोड़ी छिछोरापंती कीजिये!