डायरेक्टर: राज शांडिल्य
रेटिंग: ****
ड्रीम गर्ल कहानी है करमवीर सिंह की (आयुष्मान खुर्राना) जो की बचपन से ही औरतों की आवाज़ में बात करने की प्रतिभा रखता है और इस टैलेंट से बचपन में कई बार फ़ोन पर अपने दोस्त 'स्माइली' (मनजोत सिंह) की मां बन कर उसकी टीचर्स से बात करता है जब स्माइली इम्तेहान में फेल हो जाता है.
करम बड़ा होने पर पैसे कमाने के लिए उसके छोटे से शहर गोकुल में होने होने वाले अध्यात्मिक थिएटर प्ले में कभी 'माता सीता' बन जाता है तो कभी 'राधा', जिस कारण आस पास के लोग उसकी काफी इज्ज़त भी करते हैं, मगर करम एक अच्छी नौकरी की तलाश में है क्यूंकि वह और उसके पिता जगजीत सिंह (अन्नू कपूर) दोनों ही उसके थिएटर प्ले में औरत बन कर काम करने से खुश नहीं है.
करम की यह तलाश उसे एक 'फ्रेंडशिप कॉल सेण्टर' तक लेकर जाती है जहाँ उसे 'पूजा' बन कर अकेले और तन्हा मर्दों से बात करने और उनका दिल बहलाने का काम मिल जाता है. करम के पिता द्वारा लिए क़र्ज़ को चुकाने के लिए वह उन्हें बिना बताये इस काम में लग जाता है.
अपने पिता की दूकान पर आये एक ग्राहक की मदद करते हुए इत्तेफाक से एक दिन करम की मुलाकात होती है माही (नुश्रत भरुचा) से, दोनों को एक दूसरे से जल्द ही प्यार हो जाता है और दोनों सगाई कर लेते हैं.
करम की मंगेतर और उसके पिता दोनों ही उसके 'फ्रेंडशिप कॉल सेण्टर' वाले काम से अनजान हैं और उसकी ज़िन्दगी में एक विचित्र मोड़ तब आता है जब कई लोग फ़ोन पर 'पूजा' को असली मान कर उसके प्यार में पड़ जाते हैं और उससे मिलना और शादी करना चाहते हैं, जिनमे करम के पिता जगजीत सिंह भी शामिल हैं. जिसके बाद कहानी में कई ट्विस्ट आते हैं और आपको खूब हंसाते हैं.
ड्रीम गर्ल से निर्देशन में कदम रखने वाले राज शांडिल्य ने अपनी पहली फिल्म में बतौर निर्देशक सब कुछ सटीक तरीके से संभाला है, किसी भी मोड़ पर आपको ऐसा नहीं लगता की फिल्म पर उनकी पकड़ ढीली पड़ रही है. करम की ज़िन्दगी में चल रहे उथल - पुथल को राज खूबसूरती के साथ हास्यात्मक तरीके से पेश करते हैं. फिल्म व्यंगात्मक और हाजिरजवाब डायलॉग्स से भरी हुई है. सेकंड हाफ में फिल्म कुछ वक़्त के लिए पटरी से उतरती दिखती है मगर आपको एहसास हो इससे पहले ही वापस पटरी पर आ जाती है.
बैक टू बैक 6 हिट फ़िल्में देने वाले अयुश्मान खुर्राना बॉलीवुड के नए सुपर स्टार हैं जिनकी फ़िल्में आने वाले वक़्त में और बड़ा बिज़नस करेंगी क्यूंकि उनकी फ़िल्में अपने हटके कंटेंट के बावजूद पूरे परिवार के साथ देखने लायक हैं. करमवीर सिंह के किरदार में आयुष्मान खूब जचे हैं और ऐसा लगता ही नहीं की वे एक्टिंग कर रहे हैं.
करम के बूढ़े और अकेले पिता जगजीत सिंह के किरदार में अन्नू कपूर भी हमें खूब हंसाते हैं और उनकी और आयुष्मान की जोड़ी 'विकी डोनर' के बाद यहाँ भी बहुत बढ़िया लगी है, साथ ही नुश्रत भरुचा ने भी आयुष्मान की मंगेतर और लवर, माही के रूप में अच्छा काम किया है.
करम के स्वार्थी बॉस के किरदार में राजेश शर्मा भी हमें इम्प्रेस करने में कामयाब रहते हैं. विजय राज़ एक शायर पुलिस वाले के किरदार में और मनजोत सिंह, करम के दोस्त स्माइली के किरदार में फिल्म में कॉमेडी का तड़का लगाते नज़र आते हैं. अभिषेक बनर्जी माही के भाई 'महेंदर' और राज भंसाली पूजा के किशोर प्रेमी 'टोटो' के किरदार में भी अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे हैं.
फिल्म का म्यूजिक अच्छा है और आप एन्जॉय करेंगे. नकाश अज़ीज़ और जोनिता गाँधी का 'दिल का टेलीफोन' फनी है, अल्तमश फरीदी के 'इक मुलाकात' में आयुष्मान और नुश्रत का रोमांस देखने को मिलता है और राधे - राधे फेस्टिव मूड के हिसाब से आपको पसंद आएगा.
फिल्म किसी एक एक्टर की है, ऐसा नहीं कहा जा सकता क्यूंकी स्क्रीन पर सभी एक्टर्स अपने बेहतरीन अवतार में हैं और सभी की पर्फोर्मांस ज़बरदस्त है. कुल मिलाकर ड्रीम गर्ल में आपको भरपूर कॉमेडी और साथ रोमांस भी देखने को मिलेगा साथ ही फिल्म एक सामाजिक मेसेज देने की कोशिश भी करती है.
तो अगर आप इस वीकेंड अपने पूरे परिवार के साथ एक बढ़िया कॉमेडी एंटरटेनर देखना चाहते हैं, तो 'पूजा' आपको कॉल कर रही है. ज़रूर देखिये!