डायरेक्टर: सिद्धार्थ आनंद
रेटिंग: ***1/2
ऋतिक रौशन और कैटरिना कैफ की 'बैंग - बैंग' से एक्शन जौनर में अपना लोहा मनवाने वाले निर्देशक सिद्धार्थ आनंद, गांधी जयंती पर 'वॉर' के साथ फिर हाज़िर हुए हैं और इस बार वे एक्शन को अगले मकाम पर ले गए हैं.
बात की जाए सीधा काहानी की!
एक एजेंट और आर्मी ऑफिसर, मेजर कबीर (ऋतिक रौशन) जिसे सीरिया में एक आतंकवादी 'हक्कानी' को मारने के लिए भेजा गया था वह गद्दारी कर देता है और अपनी ही टीम के एक शख्स को गोली मार देता है, कोई नहीं जनता की कबीर ऐसा क्यूँ कर रहा है.
दिल्ली में इस मसले पर एक बैठक होती है और रक्षा मंत्री, कर्नल लूथरा (आशुतोष राणा) से कहती हैं की कबीर को किसी भी तरह रोका जाए और जल्द ही हमारी मुलाकात होती है कबीर के अंडर ही ट्रेन हुए ऑफिसर 'कैप्टन खालिद' से (टाइगर श्रॉफ) जिसे कबीर को किसी भी कीमत पे रोकने का मिशन सौंपा जाता है.
फिल्म हमें फर्स्ट हाफ में फ़्लैशबेक में लेकर जाती जाती हैं जहाँ दिखाया जाता है की कैसे कबीर और खालिद ने साथ में कई कामयाब मिशन किये. कबीर जल्द ही खालिद के सामने आता है और उसे दो बातों में से कोई एक चुनने को कहता है, 'कबीर का अगला टारगेट कौन होगा' या फिर 'कबीर ये सब क्यूँ कर रहा है' और अंत में कबीर, खालिद को अपना अगला टार्गेट बता कर गायब हो जाता है.
मगर आखिर कबीर ये सब क्यूँ कर रहा है? इन सब के पीछे उसका मकसद क्या है? इसका जवाब हमें कहानी में इसके आगे आने वाले मोड़ में मिलता है जो की एक्शन और ट्विस्टस से भरा है.
निर्देशक सिद्धार्थ आनंद ने लगभग हर एक पहलु पर ध्यान दिया है और वॉर में उन्होंने ये साबित कर दिया है की एक्शन जौनर को स्टाइल और क्लास के साथ पेश करना उनकी खासियत है. हालांकि सिद्धार्थ ने जितना ध्यान फिल्म में एक्शन, ऋतिक, और टाइगर के एक्रोबेटिक्स पर दिया है उतना ही फोकस वे फिल्म की कहानी पर भी करते तो और बढ़िया रहता.
फिल्म का स्क्रीनप्ले बढ़िया है और फर्स्ट हाल्फ में तो बेहतरीन है जिसमे बहुत सारे 'सीटी मार' सीन्स हैं. राइटर्स श्रीधर राघवन और सिद्धार्थ आनंद, स्क्रीनप्ले को कस कर रखने में लगभग कामयाब हुए हैं, हालांकि सेकंड हाफ की शुरुआत में फिल्म कुछ वक़्त के लिए धीमी पड़ जाती है जैसे किसी ने तेज़ रफ़्तार कार में अचानक से ब्रेक लगा दिया हो मगर कुछ ही वक़्त में वापस ट्रैक पर आ जाती है. सबसे बढ़िया चीज़ है फिल्म का क्लाइमेक्स जो कुछ ऐसा है जिसका आप अंदाजा नहीं लगा पाएँगे.
एक्टिंग की बात की जाए तो, ऋतिक रोशन फिल्म की जान हैं, वे कबीर के किरदार में पूरी तरह फिट बैठते हैं और जब वे परदे पर आते हैं तो आपको उनके अलावा कुछ और नहीं दिखाई देता, ऐसी उनकी स्क्रीन प्रेजेंस है. ऋतिक के ग्रीक गॉड लुक्स और एक्टिंग स्किल्स में कबीर का किरदार एक दम फर्स्ट क्लास नज़र आता है और यह ऋतिक की बेस्ट परफॉरमैंसेस में से एक है.
अगर आपको 'बाग़ी 2' देख कर ऐसा लगा था की टाइगर श्रॉफ का एक्शन बेहतरीन है, तो 'वॉर' देख कर आपको लगेगा की टाइगर ने खुद को ही पछाड़ दिया है. खालिद के किरदार में टाइगर के स्टंट्स, उनकी मेहनत साफ नज़र आती है और खालिद के इमोशंस को भी टाइगर ने परदे पर अच्छे से उकेरा है.
वानी कपूर, कबीर की प्रेमिका 'नैना' के किरदार में ठीक लगी हैं हालांकि उनका रोले छोटा ही है मगर वे अपने किरदार में फिट बैठती हैं.
कर्नल लूथरा के किरदार में आशुतोष राणा को ज्यादा कुछ करने का मौका नहीं मिला है, वे ठीक ही लगे हैं. अनुप्रिया गोएंका, खालिद की टीममेट और कबीर की स्टूडेंट के रोल में अच्छी लगी हैं और सोनी राजदान खालिद की माँ के तौर पर बढ़िया हैं.
'वॉर' का एक्शन, फिल्म की खासियत है जो की बहुत ही बढ़िया है. एक्शन सीन्स, चेज़ सीन्स और वीएफएक्स उत्तम दर्जे के हैं और सही तरीके से फिल्माए गए हैं.
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर दर्शकों की उत्सुकता के साथ - साथ एक्शन और थ्रिल को बढाता है. म्यूजिक के डिपार्टमेंट में भी यहाँ अच्छा काम किया गया है.
विशाल-शेखर के 'जय जय शिवशंकर' में ऋतिक और टाइगर का डांस का तड़का जब लगता है तो थिएटर में शोर और सीटियाँ बजने लगती हैं. ऋतिक और वाणी का रोमांटिक गाना 'घुँघरू' ठीक-ठाक है हालांकि यहाँ वानी कपूर बेहद ग्लैमरस लगी हैं.
कुल मिलकर, 'वॉर' के ज़बरदस्त एक्शन, स्टंट्स, थ्रिल और ट्विस्टस के साथ ऋतिक रौशन और टाइगर श्रॉफ, इस फिल्म को एक मस्ट वॉच बनाते हैं. ऋतिक और टाइगर का स्क्रीन पर एक साथ हर सीन 'पैसा वसूल' है! ज़रूर देखें.