पानीपत रिव्यु: नहीं चला आशुतोष गोवारिकर का जादू

Saturday, December 07, 2019 15:20 IST
By Santa Banta News Network
कास्ट: अर्जुन कपूर, कृति सेनन, संजय दत्त, मोहनीश बहल, कुनाल कपूर, शरद केलकर, पद्मिनी कोल्हापुरे, जीनत अमान

निर्देशक: आशुतोष गोवारिकर

रेटिंग: **1/2

आशुतोष गोवारिकर इतिहास से काफी प्रेरित हैं और पानीपत उनकी इस प्रेरणा का अगला अध्याय है. एक निर्देशक के रूप में आशुतोष गोवारिकर का इतिहास के प्रति हमेशा एक सीधा और निष्पक्ष दृष्टिकोण रहा है जिसका जादू साल 2008 की उनकी फिल्म 'जोधा अकबर' में चला भी था मगर आज मामला उल्टा है.

बीते वर्षों में बॉलीवुड ने ऐसी फ़िल्में देखी हैं जिनमें दर्शकों को बाँधने के लिए इतिहास को पर्याप्त ड्रामे के साथ पेश किया गया. चाहे वह भंसाली की 'पद्मावती', 'बाजीराव मस्तानी' हो या अनुराग सिंह की 'केसरी' दर्शक अब ऐतिहासिक फिल्मों से सिर्फ तथ्यों की नहीं बल्कि कहीं ज्यदा की उम्मीद करते हैं.

अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली के खिलाफ़ मराठा सेनाओं के बीच लड़ी गई 'पानीपत की तीसरी लड़ाई' पर आधारित फिल्म 'पानीपत' की कहानी मराठा योद्धा 'सदाशिव राव भाऊ' (अर्जुन कपूर) के अफगान शासक 'अहमद शाह अब्दाली' (संजय दत्त) को पछाड़ने की कोशिश पर केन्द्रित है.


आशुतोष गोवारिकर ने इस फिल्म के ज़रिये पानीपत की मशहूर तीसरी लड़ाई को सरल तरीके से दर्शकों के सामने रखा है. पानीपत की शुरुआत उस वक़्त से होती है जब हिन्दोस्तान में मुगल साम्राज्य का सूरज डूब की कगार पर था और मराठा साम्राज्य भारत की मुख्य शक्ति था. फिल्म की कहानी इतिहास और तथ्यों को बखूबी पेश करती है, मगर ऐतिहासिक-ड्रामा फिल्मों की सबसे ज़रूरी चीज़ यानी 'ड्रामा' फिल्म से गायब है. ड्रामा जो फिल्म देख कर आपके रोंगटे खड़े कर दे, जो आपको स्क्रीन पर चलते किरदारों की भावनाएं से जोड़ दे, ड्रामा जो आशुतोष गोवारिकर की सबसे कामयाब फिल्म 'जोधा अकबर' में भरपूर था.

पानीपत एक बढ़िया ऐतिहासिक फिल्म साबित हो थी अगर गोवारिकर फिल्म को सिर्फ 'सदाशिव' और 'अब्दाली' के नज़रिए से दिखाते और दोनों के बीच की कहानी के रूप में प्रस्तुतु करते. मगर उनका ध्यान इस युद्ध की एक - एक चीज़ को विस्तार से पेश करने में कुछ ज्यादा नज़र आता है और पानीपत एक डाक्यूमेंट्री लगने लगती है.

फिल्म की सिनेमेटोग्राफी काफी बढ़िया है और युद्ध के दृश्यों को भव्यता से फिलमाया गया है. एक ढीले फर्स्ट हाफ के बाद पानीपत सेकंड हाफ में आगे चल कर मज़बूत नज़र आती है मगर जब तक ये होता है तब तक दर्शक की दिलचस्पी स्क्रीन पर क्या चल रहा है इससे काफी दूर जा चुकी होती है.

आशुतोष गोवारिकर ने इस जौनर की फिल्म में भी किसी आम बॉलीवुड मसाला फिल्म की तरह गाने ठूंस दिए हैं. फिल्म में कई गाने एक के बाद बिना किसी कारण उछल कर आपके सामने आ जाते हैं और फिल्म के बनते फ्लो को बिगाड़ देते हैं. जैसे ही फिल्म में आपका इंटरेस्ट बनने लगता है एक गाना पेश कर दिया जाता है.


संजय दत्त, मोहनीश बहल, पद्मिनी कोल्हापुरे, ज़ीनत अमान, सुहासिनी मुले, कुणाल कपूर जैसे कई बेहतरीन कलाकार होने के बावजूद इनका इस्तेमाल नहीं किया गया है. हालांकि ये सब कोशिश करते हैं लेकिन अगर कोई है जो आपके पैसे थोड़े बहुत वसूल करवाता है तो वे हैं 'अहमद शाह अब्दाली' के किरदार में संजय दत्त.

संजय जब - जब स्क्रीन पर आते हैं अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं और उनके सामने कोई और कलाकार हो कर भी नज़र नहीं आता है. संजय एक अद्भुत खलनायक के रूप में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहते हैं.

अर्जुन कपूर 'सदाशिव राव' के रूप में पूरी कोशिश करने के बाद भी नहीं जच पाए हैं और रणवीर सिंह के 'बाजीराव पेशवा' से तो उनकी तुलना न ही की जाए तो बेहतर होगा. उनका किरदार स्क्रीन पर ज़्यादातर समय थका हुआ सा नज़र आता है.

कृति सेनन सदाशिव की पत्नी 'पार्वती बाई' के रूप में ठीक लगी हैं मगर उनके पास फिल्म कुछ ख़ास करने के लिए है ही नहीं तो वे अपना जगह फिट हैं और यही बात फिल्म के बाकि किरदारों पर भी लागू होती है.

कुल मिलाकर, आशुतोष गोवारिकर की पानीपत की कोशिश एक ऐतिहासिक गाथा बनने की थी, लेकिन कोशिश कामयाब नहीं हुई है और फिल्म डाक्यूमेंट्री सी बन कर रह जाती है. अगर आपको ऐतिहासिक फिल्मों बेहद पसंद हैं या फिर आप संजय दत्त के फैन हैं तो फिल्म देख सकते हैं.
अकाल: द अनकॉन्क्वेर्ड रिव्यू - खालसा बहादुरी और पंजाबी सिनेमा को एक शक्तिशाली ट्रिब्यूट!

अकाल: द अनकॉन्क्वेर्ड सिर्फ़ एक फ़िल्म नहीं है - यह खालसा योद्धाओं की वीरता, आस्था और दृढ़ता को एक भावनात्मक

Friday, April 11, 2025
जाट रिव्यू: सनी देओल की बेजोड़ स्क्रीन प्रेजेंस के साथ एक पावर-पैक एक्शन ड्रामा कहानी!

अभिनेताओं की कमी है जो स्क्रीन पर एक्शन-हीरो व्यक्तित्व को प्रामाणिक रूप से पेश कर सकें। सनी देओल की

Friday, April 11, 2025
नेटफ्लिक्स की 'द ग्रेटेस्ट राइवलरी: इंडिया वर्सेस पाकिस्तान' - का धमाकेदार रिव्यू!

जब क्रिकेट की बात आती है, तो दुनिया में बहुत कम प्रतिद्वंद्विताएं भारत बनाम पाकिस्तान की तीव्रता से मेल खा सकती

Tuesday, February 25, 2025
'बैडऐस रवि कुमार' रिव्यू: एंटरटेनमेंट की ऑवर डोज़ कहानी है हिमेश रेशमिया स्टारर फिल्म!

हिमेश रेशमिया के बदमाश रवि कुमार ने शुरू से ही एक डिस्क्लेमर के साथ अपनी बात रखी है - "तर्क वैकल्पिक है।" यह कथन

Friday, February 07, 2025
'देवा' रिव्यू: शाहिद कपूर स्टारर एक्शन थ्रिलर कहानी ने रिलीज़ होते ही उड़ाया बॉक्स ऑफिस पर गर्दा!

"मुंबई किसी के बाप का नहीं, पुलिस का है" जैसे दमदार संवाद के साथ, शाहिद कपूर का किरदार, देवा अम्ब्रे, पूरी फिल्म में खुद को

Friday, January 31, 2025
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT