निर्देशक: नितिन कक्कड़
रेटिंग: ***1/2
जैज़ उर्फ़ जसविंदर सिंह (सैफ अली खान) लन्दन में रहने वाला 40 साल से ऊपर का कुंवारा व्यक्ति है जो ज़िन्दगी को पूरी तरह जीने में विशवास रखता है और किसी भी प्रकार के रोमांटिक रिश्ते से दूर ही रहता है. उसकी ज़िन्दगी दिन में एक प्रॉपर्टी ब्रोकर के रूप में और रात में शराब और अपने से आधी उम्र की लड़कियों के साथ रोमांस करने में ही बीतती है.
लेकिन एक दिन जैज़ की इस खुशनुमा ज़िन्दगी में तूफ़ान आ जाता है जब क्लब से वह एक 21 साल की लड़की टिया (अलाया ऍफ़) के साथ घर आता है और वह उससे कहती है की 33.33 प्रतिशत चांस है की टिया जैज़ की बेटी है. डीएनए टेस्ट से ये बात साफ़ हो जाती है की टिया जैज़ की ही बेटी है और जैज़ के पैरों तले ज़मीन तब खिसक जाती है जब उसे पता चलता है अभी - अभी पिता बनने के बाद ही वह अब दादा भी बनने वाला है क्यूंकि टिया मां बनने वाली है.
जैज़ इस ज़िम्मेदारी के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं है और न ही अपनी मौज मस्ती भरी ज़िन्दगी को अलविदा कहने के लिए और इसलिए वह टिया और अपने पोते से पीछा छुड़ा लेता है. इसके बाद क्या होता है यह कहानी है नितिन कक्कड़ की जवानी जानेमन की जो की काफी मनोरंजक है.
निर्देशक नितिन कक्कड़ ने फिल्म को अच्छे से संभाला है और वे शुरुआत में ही ये साफ़ कर देते है की उनका मकसद दर्शक को एंटरटेन करना है न की ड्रामा और रोना - धोने वाली फिल्म दिखाना. उनकी फिल्म मज़ेदार है और आज के समाज, रहन - सहन और सोच को बखूबी दर्शाती है. फिल्म का स्क्रीनप्ले कसा हुआ और हलकी - फुल्की कॉमेडी से भरा है जो की कहीं भी आपको बोर नहीं करता है. फिल्म में ड्रामा भी है मगर ड्रामेबाजी नहीं और लगभग साफ सुथरी होने की वजह से इसे परिवार के साथ भी देख सकते हैं.
एक्टिंग फ्रंट पर सैफ अली खान पूरी फिल्म में छाए हुए हैं. कॉकटेल और लव आज कल के बाद उन्हें फिर एक बार 'खुल्ला सांड' वाले रूप में देखना काफी अच्छा लगा है और सैफ पर ऐसे किरदार जचते भी हैं. हालांकि यहाँ उनका किरदार काफी परिपक्व हुआ है जो की अपनी बढती उम्र को छिपाने की कोशिश तो करता है लेकिन खुद से नहीं दुनिया से. सैफ अली खान जैज़ के रूप में कमाल के हैं और उनका चुलबुला किरदार हर फ्रेम में आपका दिल जीत लेता है.
अपनी डेब्यू बॉलीवुड फिल्म में अलाया ने भी बेहतरीन काम किया है. उनके अभिनय में एक समझदारी का भाव है जो की बहुत ही कम नयी अभिनेत्रियों में देखने को मिलता है. उनहोने अपने किरदार को बड़ी सहजता से निभाया है और उनके हाव - भाव भी बढ़िया हैं. तब्बू अलाया की मॉडर्न मां आनन्या के रूप में दमदार लगी हैं और अपने छोटे से रोल में आपको हंसा कर जाती हैं. उनका किरदार दिलचस्प है और उन्हें सैफ के साथ लम्बे समय के बाद देखना अपने आप में एक ट्रीट है.
जैज़ की मां के रूप में फरीदा जलाल को इतने साल बाद देखना हर्षित करने वाला है और साथ ही कुमुद मिश्रा जैज़ के बिज़नस पार्टनर डिम्पी, चंकी पाण्डेय नाईटक्लब के मालिक रॉकी और जैज़ की हेयरस्टाइलिस्ट के रूप में कुबरा सैत का प्रदर्शन भी काबिल ए तारीफ है. फिल्म का म्यूजिक ठीक - ठाक ही है, ओरिजिनल गाने कम है रेक्रिएटेड ज्यादा मगर सैफ को 'ओले ओले 2.0' में देखना बढ़िया लगता है.
कुल मिलकर जवानी जानेमन नए ज़माने की कॉमेडी फिल्म है जो आज के दौर के धीरे - धीरे बदलते रिश्तों और लोगों की कहानी दर्शाती है. फिल्म अपने ट्रेलर पर खरी उतरती है और बढ़िया कॉमेडी और मजेदार पलों से भरपूर है. इसे अपने परिवार के साथ भी देख सकते हैं और परिवार के साथ देख सकने वाली आज कल कम ही फ़िल्में आती है.