निर्देशक: मोहित सूरी
रेटिंग: ***1/2
अद्वैत ठाकुर (आदित्य रॉय कपूर) और सारा नाम्बियार (दिशा पाटनी) की मुलाकात गोवा में एक ट्रिप के दौरान होती है. आदित्य जहाँ शर्मीले स्वभाव का है वहीँ सारा खुले दिल की और ज़िन्दगी को पूरी तरह जीने में विशवास रखने वाली लड़की है. दोनों एक दूसरे के करीब आते हैं और उन्हें प्यार हो जाता है जिसके बाद अद्वैत और सारा अपना सारा वक़्त एक साथ बिताते हैं. मगर फिर दोनों के साथ कुछ ऐसा होता है जो इनकी ज़िन्दगी को पलट कर रख देता है.
अद्वैत को सज़ा होती है और वह जेल चला जाता है. 5 साल के बाद जब वह बाहर निकलता है तो एकखूनी खेल शुरु करता है जिसमे वह कई लोगों की हत्या करता है और आगे और भी कई उसके निशाने पर हैं. ऐसे में उसे रोकने के लिए स्क्रीन पर आते हैं दो पुलिसवाले, एक बेलगाम ऑफिसर अंजनी अगाशे (अनिल कपूर) और एक इमानदार ऑफिसर माइकल रॉड्रिग्ज़ (कुनाल केम्मू) जो मिलकर अद्वैत के अतीत में झाँकने और ये पता लगाने की कोशिश करते हैं की आखिर उसके इस खूनी खेल के पीछे कारण क्या है.
मलंग की शुरुआत एक ज़बरदस्त एक्शन सीन के साथ होती है और बढ़िया शुरुआत के बाद फिल्म अपने किरदारों और उनकी कहानी को धीरे-धीरे स्थापित करने में लग जाती है. फिल्म का स्क्रीनप्ले आपको बाँध कर रखने में कामयाब है और इसकी कहानी में एक दमदार थ्रिलर के लगभग सभी मसाले और कुछ तगड़े ट्विस्ट भी हैं. मोहित सूरी ने फिर एक बार एक मनोरंजक रोमांटिक-एक्शन-थ्रिलर फिल्म बनाने की अपनी काबिलियत का प्रदर्शन किया है वो भी कहानी को बिना खींचे हुए जो की कम ही बॉलीवुड निर्देशक करने की क्षमता रखते हैं.
परफॉरमेंस की बात करें तो आदित्य रॉय कपूर बदला लेने के लिए पागल आशिक अद्वैत के रूप में शानदार लगे हैं. आदित्य ने अपने किरदार में ढलने के लिए काफी मेहनत की है जो की फिल्म में नज़र भी आ रहा है और काफी सराहनीय है. अद्वैत का सीदा - सादा और उसका रौद्र रूप दोनों ही आदित्य ने परदे पर बखूबी पेश किये हैं और उनकी एक्टिंग ज़बरदस्त है. दिशा पाटनी का काम फिल्म में बोलना कम और हॉट दिखना ज्यादा है. निर्माताओं ने उनकी खूबसूरती को दर्शकों को सजा कर परोसने का कोई मौका नहीं छोड़ा है. हालांकि दिशा के इमोशनल सीन अच्छे हैं और उनका किरदार फिल्म के सेकंड हाफ में ज्यादा बेहतर है.
मलंग के मुख्य कलाकारों के साथ फिल्म की सहायक कास्ट भी भारी - भरकम और दमदार है. अनिल कपूर एक संकी और लगभग पागल पुलिसवाले के किरदार में बखूबी जचे हैं और उन्हें हर सीन में देखना आनंदमय है. पागलपंती जैसी फिल्म के बाद अनिल को एक तगड़े किरदार में देखना मज़ेदार लगा है. कुनाल केम्मू एक धीर-गंभीर 'माइकल' के रूप में बेहतरीन लगे हैं और उनका किरदार भी काफी गहन है. मलंग के बाद अगर आप कुनाल को और भी फिल्मों में देखना चाहें तो हैरानी की बात नहीं होगी.
एली अवराम भी 'जेसी' के किरदार में परफेक्ट लगी है. उन्हें देख कर लगता है जैसे ये रोल उन्हें दिमाग में रख कर ही लिखा गया था और उन्होंने ये दिखाया है की वे एक्टिंग भी कर सकती हैं वो भी बढ़िया. शाद रंधावा, अमृता खानविलकर और फिल्म के बाकी कलाकार भी अपनी - अपनी जगह ठीक लगे है.
एक चीज़ जो निराश करती है वो है फिल्म का संगीत जो की मोहित सूरी की फिल्मों में अक्सर ज़बरदस्त होता है. मलंग में फिल्म के टाइटल ट्रैक और 'फिर न मिलें कभी' के अलावा कोई गाना आपके साथ नहीं रहता और कई गानों की प्लेसमेंट भी अजीब है.
कुल मिलाकर मलंग मोहित सूरी की विशेषताओं का एक मिश्रण है. हीरो - हीरोइन मिलते हैं, प्यार होता है मगर दोनों के साथ एक ट्रेजेडी हो जाती है जिसके बाद हीरो जेल चला जाता है. बाहर आ कर वह बदला लेने के लिए शिकार पर निकल जाता है और फिर आता है कहानी में एक ट्विस्ट. मलंग एक मनोरंजक मसालेदार बॉलीवुड रोमांटिक-थ्रिलर है मगर मॉडर्न स्टाइल में.