निर्देशक: अहमद खान
रेटिंग: ***
बागी फिल्म फ्रैंचाइज़ी की शुरुआत साल 2016 सब्बीर खान ने की थी और इसकी कामयाबी को 2018 में बागी 2 से आगे बढ़ाया अहमाद खान ने. अब इस फ्रैंचाइज़ी के निर्माता साजिद नडीआडवाला लेकर आये हैं फिल्म की तीसरी कड़ी बागी 3 जिसमे फिर एक बार टाइगर श्रॉफ और श्रद्धा कपूर एक साथ नज़र आये हैं.
बागी 3 साल 2020 में भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के शहर आगरा में स्थित है. रॉनी (टाइगर श्रॉफ) अपने बड़े भाई विक्रम (रितेश देशमुख) को लेकर जज़्बाती और प्रोटेक्टिव है और जब भी विक्रम मुसीबत में होता है तो रॉनी ही एक देसी हीरो स्टाइल में उसे बचाने आता है, हीरो की तरह गुंडों की धुनाई करता है और गायब हो जाता है.
विक्रम आगे चल कर पुलिस ऑफिसर बन जाता है और रॉनी की एक गर्लफ्रैंड सिया (श्रद्धा कपूर) की बहन रूचि (अंकिता लोखंडे) से शादी के बाद विक्रम एक सरकारी काम से सीरिया जाता है. सीरिया में विक्रम और रूचि को एक आतंकी ग्रुप जैश - ए - लश्कर द्वारा अगवा कर लिया जाता है जिसके बाद कैसे रॉनी हमेशा की तरह अपने भाई को बचाता है यह कहानी है बागी 3 की.
अहमद खान की बागी 3, बागी 2 का इनडायरेक्ट सीक्वल है जो की एक एक्शन - थ्रिलर है मगर फर्स्ट हाफ में फिल्म एक्शन से ज्यादा कॉमेडी पर फोकस करती है और उसमे काफी हद तक कामयाब भी होती है. फिल्म के किरदारों के नाम ऐसे हैं जो आपको हंसा ही देंगे, 'इंस्पेक्टर शरद कूटे', कमिश्नर भोकेलाल मूपे चटोरा उर्फ़ बीएमसी, और फिल्म के विलन का साइडकिक इन्दर पहेली लाम्बा यानी आईपीएल.
फरहाद समजी के डायलॉग बढ़िया हैं जो की फिल्म में कॉमेडी का तड़का लगाते हैं. और टाइगर की पिछली हिट फिल्मों के रिफरेन्स भी मज़ेदार लगते हैं. जैसे की एक सीन में टाइगर अपनी ही फिल्म हीरोपंती का ट्रेडमार्क डायलॉग बोलते दिखते हैं 'सबको आती नहीं, मेरी जाती नहीं'.
टाइगर श्रॉफ एक धाकड़ और ताबड़तोड़ एक्शन करते हुए रॉनी के किरदार में फिल्म की जान हैं. उनकी परफेक्ट बॉडी, एब्स और मसल्स स्क्रीन पर चमकते हुए नज़र आते हैं और उनकी मौजूदगी आपकी नज़रें स्क्रीन पर टिका कर रखने के लिए काफी है. हालांकि टाइगर इमोशनल सीन्स में औसत लगते हैं और यहाँ वे अपनी परफॉरमेंस सुधार सकते हैं.
श्रद्धा कपूर एक चाह्चहाती हुई और गुस्सैल लड़की सिया के किरदार में बढ़िया लगी हैं. उनका किरदार चुलबुला है और फिल्म के फर्स्ट हाफ में कॉमेडी का तड़का और बढाता है हालांकि श्रद्धा के पास सेकंड हाफ में कुछ ख़ास करने के लिए नहीं है.
जैश ए लश्कर के मुखिया और फिल्म के मुख्य विलन अबू जलाल गाज़ा, जो अपने ठिकाने पर एक देश की सेना से भी ज्यादा असला और बारूद रखे बैठा है, के रूप में जमील खौरी अपनी छाप छोड़ते हैं. उनके डायलॉग और भी असरदार हैं जो उनके किरदार को और भी असली बनाते हैं उदाहरण के तौर पर "अकेले मरा तो फ़िज़ूल है, 100 को लेके मारा तो क़ुबूल है". हालांकि एक अकेले रॉनी का अबू और पूरे के पूरे जैश को तबाह करने पचता नहीं है.
अहमद खान ने डायरेक्शन के डिपार्टमेंट को ठीक से संभाला है मगर एक्शन सीन्स में गलत कैमरा मूवमेंट कई बार फिल्म का मज़ा किरकिरा कर देती हैं. टाइगर श्रॉफ हमेशा की तरह एक्शन सीन्स में शानदार लगे हैं. वीऍफ़एक्स वर्क भी प्रशंसनीय है मगर सीजीआई बहुत जगह कमज़ोर हैं जो की लगभग 100 करोड़ के बजट वाली एक फिल्म में निराशाजनक लगता है.
बैकग्राउंड स्कोर फिल्म के एक्शन, थ्रिल और रोमांच को बढाता है और संगीत के डिपार्टमेंट में दिशा पाटनी ने 'डू यू लव में' में ग्लैमर और हॉटनेस का ख़ासा तड़का लगाया है. फिल्म में गाने कम ही हैं जो की एक्शन फिल्म के हिसाब से ठीक रखा गया है. यह पहला मौका है जब टाइगर के रियल लाइफ पिता उनके रील लाइफ पिता जैसी श्रॉफ उनके किरदार में दिखे हैं और उनका केमियो भी दमदार है.
कुल मिलाकर अहमाद खान की बागी 3 ज़बरदस्त एक्शन और ठीक - ठाक कॉमेडी का मिला - जुला मिश्रण है जिसमे टाइगर श्रॉफ वही करते हुए नज़र आते हैं जो वे बेहतरीन करते हैं, एक्शन. टाइगर श्रॉफ के फैन हैं तो ज़रूर देखें.