ऐसा ही कुछ ख्याल था पुनीत ओबेरॉय का, एक कामयाब होटेलियर जो की कहानीकार सुधांशु राय की नवीनतम हॉरर स्टोरी - 'द ग्रेवयार्ड' के प्रमुख किरदार हैं। अपनी होटल चेन को फैलाने के इरादे से वे भारत के दक्षिणी भाग में खूबसूरत थालिम गांव पहुंचे। पुनीत ने यहां अंग्रेज़ों के ज़माने का एक पुराना बंगला खरीदा। बंगले के आसपास खूब हरियाली थी और इसी कैम्पस में एक मानव-निर्मित तालाब तथा अस्तबल भी था। पुनीत ने इस जगह पर आसपास के सुंदर लैंडस्केप को देखते हुए यहां एक भव्य महलनुमा होटल बनाने की योजना बनायी थी। पुनीत अपने फायदे गिनने में ही इतना मगन रहा कि उसने इस कैम्पस के दूसरे सिरे पर खड़े कब्रिस्तान और उससे जुड़ी भयावह घटनाओं को पूरी तरह नज़रंदाज़ कर दिया।
लेकिन इस पुराने बंगले में बितायी पहली ही रात पुनीत के लिए भयानक साबित हुई। वह यहां अपने सहायक सुधीर सक्सेना और दो दोस्तों सागर तथा किरण के साथ आया था। देर शाम को ये चारों बंगले के लॉन में बैठे गपशप कर रहे थे जब किरण को सबसे पहले कब्रिस्तान के उस भयावह सन्नाटे का अहसास हुआ| लेकिन तभी उस सन्नाटे के बीच उन चारो को किसी के तालाब में डुबकी लगाने की आवाज़ आयी। सुधीर जब उस तरफ दौड़ा ताकि पता लगाया जा सके कि ऐसा करने वाला कौन है, तो उसका सामना अपनी जिंदगी में अब तक के सबसे खौफनाक मंज़र से हुआ।
इसके बाद परिस्थितिया कुछ इस तरह बदलती हैं कि पुनीत और उसके दोस्त कब्रिस्तान की तरफ चल देते है, और वहां उन्हें जो दिखता है उसके बाद तो उनके पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है। आखिर उस रात के अंधेरे में कब्रिस्तान में उन्हें क्या दिखायी दिया? और ऐसा क्या हुआ कि खून में सना सुधीर पागलों की तरह चार कब्रों को खोदने लगा? उस अंग्रेज़ आदमी का क्या राज़ था जिसका जिक्र उस वृद्ध महिला ने किया था जो पुनीत से मिलने आयी थी? 'द ग्रेवयार्ड' में छिपे ऐेसे ही और कई राज़ जानने और इस कहानी में सिमटे भयभीत कर देने वाले अनुभवों से गुजरने के लिए सुनिए यह पूरी कहानी: