निर्देशक: हनी त्रेहान
रेटिंग: *** 1/2
आपको देव आनंद की फिल्म ज्वेल थीफ का गाना 'रात अकेली है' तो याद होगा ही जो की सुरीला, कामुक, और शरारती तीनो था| वहीँ हनी त्रेहान की फिल्म रात अकेली है इन तीनो चीज़ों के उलट है| रात अकेली है सिर्फ धरती पर बीतने वाली एक रात की कहानी नहीं बल्कि उससे कहीं ज़्यादा है जसकी छाप इस फिल्म की हर एक महिला किरदार पर देखने को मिलती है | हर चेहरा डर, दर्द और सवालों से भरा हुआ है|
फिल्म की कहानी शुरू होती है जब कानपूर के एक राजनेता व बिज़नसमन रघुबीर यादव (खालिद त्याब्जी) को उसकी शादी की रात को ही बेडरूम में गोली मार दी जाती है| केस की जांच सौंपी जाती है इंस्पेक्टर जटिल यादव (नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी) को जिसे की रघुबीर के परिवार के हर सदस्य पर शक है खासकर रघुबीर की पत्नी राधा (राधिका आप्टे) पर| रघुबीर के परिवार को भी यही लगता है की उसका क़त्ल राधा ने किया है मगर जटिल यादव को उलझे हुए मामलों को सुलझाना और मुजरिम को पकड़ना बखूबी आता है |
दिलचस्प बात ये है की रघुबीर और राधा की मुलाकात इससे पहले भी 5 साल पहले एक बार हो चुकी है और सवाल ये है की अब 5 साल बाद वापस मिलने के बाद क्या राधा का असर एक पुलिस ऑफिसर के रूप में जटिल के फ़र्ज़ के आड़े आएगा या नहीं| तो क्या जटिल यादव इस पेचीदा मामले की तह तक जा कर सच को सामने ला पाएगा या नहीं ये है फिल्म की बाकी की कहानी |
बतौर निर्देशक कास्टिंग डायरेक्टर हनी त्रेहान की यह पहली फिल्म है और उन्होंने अपनी कहानी और किरदारों को आपकी स्क्रीन पर बड़ी मजबूती के साथ पेश किया है | फिल्म की कहानी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स बेहतरीन हैं और निर्देशक ने सस्पेंस और थ्रिल को अंत तक बरकरार रखने में भी सफलता हासिल की है क्योंकि रात अकेली है आपकी आँखों को हर पल स्क्रीन पर ही टिका कर रखती है|
फिल्म के कलाकार और उनकी परफॉरमेंस इसके सबसे मज़बूत पहलुओं में से एक है और हर कलाकार की एक्टिंग इतनी उम्दा है की किसी को भी देख कर आप ये अंदाजा नहीं लगा सकते की आखिर इस शख्स के साथ आगे क्या होने वाला है |
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की बात की जाए तो फिर एक बार उन्होंने एक जानदार प्रदर्शन किया है और ये साबित किया है की सस्पेंस-थ्रिलर फ़िल्में उनकी सबसे बड़ी खासियत हैं| राधिका आप्टे हर बार की तरह अपने किरदार में डूबी हुई नज़र आती हैं जिसका दर्द उसकी आँखों से बयाँ होता है|
इला अरुण एक मां के किरदार में जो अपने कुंवारे बेटे जटिल यादव के लिए दुल्हान तलाश रही है, काफी अच्छी लगी हैं| वहीँ बात करें आदित्य श्रीवास्तव की तो उन्होंने एक राजनेता का किरदार बड़ी सहजता से निभाया है जिसे देख कर आपने मन में ये बात ज़रूर आएगी की आखिर उन्हें हिंदी फिल्मों में ऐसे बढ़िया प्रोजेक्ट्स और क्यूँ नहीं मिलते| साथ ही तिग्मांशु धुलिया भी अपने किरदार में दमदार लगे हैं|
फिल्म का संगीत ठीक - ठाक है और बैकग्राउंड स्कोर मिस्ट्री और ड्रामा दोनों को बढाने का काम अच्छे से करता है |
कुल मिलाकर रात अकेली है शुरुआत से अंत तक आपको पलकें झपकाने का मौका नहीं देती है| फिल्म में ड्रामा, सस्पेंस और थ्रिल बखूबी है और उस पर नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की एक्टिंग भी चार चाँद लगाती है| तो अगर आप मिस्ट्री-थ्रिलर फिल्मों के शौक़ीन हैं तो रात अकेली है ज़रूर देखिये क्यूंकि 2 घंटे 29 मिनट की इस फिल्म में आपको रोमांच का ज़बरदस्त डोज़ मिलेगा|