निर्देशक: शरण शर्मा
रेटिंग: 3
कहानी की शुरुआत होती है 90 के दशक में लखनऊ में रहने वाली गुंजन सक्सेना (जान्हवी कपूर) के दसवीं के रिजल्ट से, रिजल्ट आते ही गुंजन अपने परिवार से कहती हैं कि उन्हें बड़े हो कर पायलट बनना है। यह सुनते ही उनके परिवार के सभी सदस्य चौंक जाते हैं और अपनी बिटिया को समझाते हैं कि लड़कियाँ इतना बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर सकतीं। सबको गुंजन का सपना अकल्पनीय और सत्य से परे लगता है मगर फिर एक दिन उसे अपना सपना पूरा करने का मौका मिलता है जब भारतीय वायु सेना में महिला पायलट की भर्ती की घोषणा हो जाती है ।
गुंजन अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए पूरी तरह तैयार हो कर निकल पड़ती हैं फ़ौज में भर्ती होने के लिए। अपने सपनें की राह में आने वाली हर मुश्किल को पार करने के बाद गुंजन के लिए कई पुरुषों के बीच अकेली महिला होना भी काफ़ी चुनौतीपूर्ण साबित होता है | मगर वह और उसका अटूट जज़्बा हर मुश्किल से टकराते हुए आगे बढ़ते जाते हैं| यह फिल्म एक सार है गुंजन की मेहनत का कि कैसे वो इस पुरुष प्रधान समाज में कठिन परिस्थितियों का डट कर सामना करते हुए कारगिल युद्ध में मोर्चा संभालती है और कैसे खुद को साबित करती है ये है गुंजन सक्सेना की बाकी की कहानी |
फिल्म के निर्देशक शरण शर्मा की मेहनत को स्क्रीन पर शुरू से अंत तक साफ तौर पर देखा जा सकता है | उन्होंने फिल्म में गुंजन सक्सेना की ज़िंदगी के लगभग हर पहलू को बखूबी दर्शाया है और किसी भी पल आपको इस बात का एहसास नहीं होता कि शरण शर्मा ने बतौर निर्देशक इस फिल्म से डेब्यू किया है। अब यदि स्क्रीनप्ले की बात हो तो फिल्म का स्क्रीनप्ले भी काफी मनोरंजक है जो ज़्यादातर समय आपका ध्यान स्क्रीन पर रखने में कामयाब है |
परफॉरमेंस की बात की जाए तो जाह्नवी कपूर (गुंजन सक्सेना) गुंजन सक्सेना और पंकज त्रिपाठी (गुंजन के पिता) की जुगलबंदी काफ़ी कमाल की दिखाई गई है। हालांकि जान्हवी कई जगह गुंजन के किरदार को सफलता से निभाने में असफल दिखती हैं, पर पंकज त्रिपाठी, अंगद बेदी और विनीत कुमार सिंह जैसे अन्य कलाकारों ने अपने अभिनय से कहीं कोई कमी नहीं आने दी हैं |
फिल्म में कुल 6 गाने हैं जिसे अरिजीत सिंह, नूरां सिस्टर्स, रेखा भारद्वाज, सुखविंदर सिंह, नकाश अज़ीज़ और अरमान मलिक ने अपनी आवाजों से संवारा है। अरिजीत सिंह की आवाज़ में 'भारत की बेटी' गाना आपके दिल को गहराई से छू जाता है| कहना पड़ेगा की अमित त्रिवेदी का संगीत फिल्म का एक ऐसा हिस्सा है जो गुंजन की कहानी को सुंदरता से आगे बढ़ता है |
अंत में यही कहेंगे कि फिल्म "गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल" एक प्रेरणादायक कहानी होने के साथ, एक पिता और उनकी साहसी बेटी की कहानी भी है जो कई मायनों में आपको यह बताने की कोशिश करती है की लड़का हो या लड़की सबको अपने सपने जीने एक सामान हक है| यह अलग बात है की कई दृश्यों में फिल्म बहुत अविश्वसनीय लगती है पर कहानी की रफ़्तार आपको फिल्म से बांधे रखती है और अंत में आपकी आंखे भी नम कर देती है। ज़रूर देखें |