निर्देशक: कंवल शेट्टी
प्लेटफ़ॉर्म: ज़ी5
रेटिंग: *1/2
ज़ी5 ओरिजिनल फिल्म 'लंदन कॉन्फिडेंशियल' आज रिलीज़ हो गयी है| ये लंदन में फिल्माई गयी एक स्पाई थ्रिलर फिल्म है जिसमें मौनी रॉय (उमा कुलकर्णी ) और पूरब कोहली (अर्जुन) मुख्य भूमिका में नज़र आए हैं| इनके अलावा प्रवीण राणा, कुलराज रंधावा और सागर आर्य भी फिल्म में शामिल हैं| इस फिल्म का निर्देशन कंवल शेट्टी ने किया है तो आइये देखते हैं कैसा किया है |
'लंदन कॉन्फिडेंशियल' की कहानी भारत-चीन तनाव के इर्द-गिर्द घुमती हुई नज़र अआती है| लंदन में एक भारतीय जासूस बिरेन (दिलजॉन सिंह) को किडनेप कर लिया जाता है| जांच के बाद, यह पता चला कि इस एजेंट को कुछ चीजें पता थीं जो साबित करती थीं कि चीनी किसी वायरस को पूरी दुनिया में फैलाने वाले थे।
अब भारत सरकार उस जासूस की तलाश कर रही है, सरकार अपने दो अधिकारियों अर्जुन और उमा कुलकर्णी को इस मामले की जांच करने के लिए कहती है, जब एक टीम जांच शुरू करती है, तो मामला अधिक गंभीर हो जाता है और कई छिपे हुए रहस्य सामने आते हैं| क्या वे अपने जासूस को ढूंढ पाएंगे या इसके पीछे भी कोई रहस्य रह जाएगा, इसके लिए आपको ज़ी5 की ये फिल्म देखनी पड़ेगी |
एक्टिंग की बात की जाए तो यहाँ भी ज़िक्र करने के लिए कुछ ख़ास नहीं है| पूरी फिल्म की कहानी 2 से 3 पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती हुई नज़र आती हैं, मौनी रॉय अपने अभिनय से कुछ खास कमाल नही कर पाई हैं तथा हर स्थित में उनके हाव-भाव आपको निराश कर सकते हैं | वह कुछ कठिन दृश्यों के दौरान कुछ समय के लिए थकी हुई नज़र आई हैं, इस तरह की गंभीर भूमिका के लिए उन्हें बहुत सुधार करने की जरूरत है।
पूरब कोहली ने अर्जुन के रूप में एक इंटेलिजेंस ऑफिसर की भूमिका बड़ी ही शानदार निभाई है अन्य अभिनेता जैसे प्रवीण राणा और सागर आर्या भी अपने किरदारों से कुछ छाप नही छोड़ पाए हैं| सबसे अजीब बात ये है कि पूरब कोहली को छोड़कर हर कलाकार अपने किरदार में कमजोर नज़र आया है|
फिल्म को एक स्पाई थ्रिलर कहा गया था, लेकिन इसमें कुछ भी थ्रिल नहीं है, क्लाइमेक्स अच्छा है, लेकिन फिल्म पहले 40-50 मिनट तक कोई रोमांच या रहस्य नहीं देती है| खलनायक बहुत ही साधारण है और वो कौन है इसका अंदाजा भी आप बहुत जल्दी लगा सकते हैं| कुल मिलाकर कहें तो पूरी फिल्म की कहानी एक ले में नज़र आई है।
फिल्म का ट्रेलर आशाजनक था, उसको देखकर दर्शकों को लगा था कि कुछ दमदार देखने को मिलेगा| लेकिन पूरी फिल्म बुरी तरह से विफल रही, फिल्म का सबसे अछि बात है की इसका रनटाइम बहुत कम है और आप 2 घंटे से भी कम समय में फिल्म खत्म कर सकते हैं। अगर आप इसे अपने परिवार और बच्चों के साथ देखने की सोच रहे हैं तो सिर्फ़ सोचना ही सही रहेगा देखना नहीं|
अंत में 'लंदन कॉन्फिडेंशियल' का इरादा कुछ थ्रिलिंग दिखाने का था, लेकिन निर्देशक कंवल शेट्टी की ये फिल्म सिर्फ एक काम करने में सफल दिखती है वो है 'दर्शकों को निराश' करना|' आपके सामने स्क्रीन पर कुछ पात्र आते हैं, इधर-उधर घूमते हुए खुद को सीरियस दिखाने की कोशिश करते हैं और फिल्म समाप्त हो जाती है|