सीरियस मेन रिव्यु: कुछ आम सपनों की ख़ास उड़ान है नवाज़ुद्दीन की सीरियस मेन

Friday, October 02, 2020 19:48 IST
By Santa Banta News Network
कास्ट: नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, इंदिरा तिवारी, अक्षत दास, नास्सर, श्वेता बासु प्रसाद

निर्देशक: सुधीर मिश्रा

रेटिंग: ***1/2

प्लेटफ़ॉर्म: नेटफ्लिक्स

नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी बॉलीवुड के उन अभिनेताओं में शामिल हैं जो अपने प्रदर्शन से किसी भी तरह के किरदार में इतनी जान फूंकने के काबिल है के वो किरदार परदे पर जीवंत नज़र आये| यही काम उन्होंने फिर एक बार किया है नेटफ्लिक्स पर आज रिलीज़ हुई सुधीर मिश्रा की फिल्म 'सीरियस मेन' में जो की लेखक मनु जोसफ की इसी नाम की किताब पर आधारित है | इस बार नवाज़ुद्दीन के साथ इंदिरा तिवारी, नास्सर, श्वेता बासु प्रसाद और अक्षत दास भी नज़र आये हैं | अब जल्दी से पॉइंट पर आते हैं और बात करते हैं कहानी की |

तो सीरियस मेन कहानी है एक ऐसे शख्स की जो अपनी ज़िन्दगी में जो रुतबा जो इज्ज़त नहीं पा सका वो सब कुछ अपने बेटे को पाते हुए देखना चाहता है | इस शख्स का नाम है अय्यन मणि (नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी), अय्यन तमिलनाडू के दलित वर्ग से आता है और फिलहाल मुंबई की एक छोटी सी चौल में अपनी पत्नी (इंदिरा तिवारी) और बेटे आदि (अक्षत दास) के साथ रहता है | अय्यन, इंस्टिट्यूट ऑफ़ थ्योरी एंड रिसर्च में काम करता है जहां के चीफ एस्ट्रोनॉमर का वह पर्सनल असिस्टेंट है और चाहता की उसका बेटा भी उसी की तरह अपनी ज़िन्दगी बॉस की डांट खाते हुए और सिर्फ रोटी कमाते हुए न बिठाये बल्कि एक फर्स्ट क्लास ज़िन्दगी बनाए|

उसे ये मौका मिलता है भी क्यूंकि अय्यन का 10 साल का बेटा आदि एक गणित जीनियस है और उसे धीरे - धीरे समाज में पहचान मिलने लगती है | आदि का टैलेंट उसे एक नामी स्कूल में एडमिशन दिला देता है, उसे मशहूर बना देता है और वो सब कुछ अय्यन को अपने बेटे को मिलते हुए नज़र आने लगता है जो वह उसके लिए चाहता है | लेकिन ये सब इतना आसान है नहीं जितना अय्यन ने सोचा था, कहानी में एक ट्विस्ट है और ये ट्विस्ट अय्यन व उसके बेटे की ज़िन्दगी में क्या ट्विस्ट लेकर आता है इसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी |

डायरेक्टर सुधीर मिश्रा ने अपनी फिल्म के ज़रिये देखने वाले को आज भी देश के कई कोनों में होने वाले जातिवाद और अमीर-गरीब के फर्क के कारण होने वाले अन्याय से परिचित कराने का काम बखूबी किया है | उनकी फिल्म समाज की कुरीतियों पर चोट भी करती है और व्यंग्य भी वो भी इस खूबसूरती से के देखने वाले पर कई दृश्य अपनी छाप छोड़ देते हैं | एक गरीब व्यक्ति अपने बच्चों और परिवार के लिए किस हद तक जा सकता है इस पर निर्देशक ने फिल्म में काफी जोर दिया है और उनका तरीके दर्शक को सोचने पर मजबूर कर देता है |

फिल्म का स्क्रीनप्ले मनोरंजक है और शुरुआत से ही आपकी आँखें स्क्रीन पर टिका कर रखता है | फिल्म आपको हंसाती भी है और अपने टाइटल की ही तरह कहीं - कहीं सीरियस भी करती है | हालांकि रनटाइम कम करने के लिए एडिटिंग कुछ और की जा सकती थी क्यूंकि कहानी आगे चल कर कुछ जगह धीमी पड़ जाती है और आपकी आँखें स्क्रीन से हटने की जिद करने लगती हैं | लेकिन कुछ ही देर बाद फिल्म फिर रफ़्तार पकड़ती और अंत तक पकड़े रहती है |

एक अच्छी कहानी में जान डालने का काम किया है नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने | अय्यन मणि के रूप में नवाज़ की एक्टिंग और उनका प्रदर्शन एक दम प्राकृतिक है जो की अपने आप में काबिल'ए'तारीफ है| नवाज़ न सिर्फ एक बार फिर अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाते हैं बल्कि एक संकी लोअर क्लास व्यक्ति और ज़िन्दगी के प्रति उसके साधारण नज़रिए को असाधारण तरीके से परदे पर पेश करते हैं | उनके किरदार की चाल - ढाल, उनकी डायलॉग डिलीवरी, उनका अंदाज़ हर दृश्य में ज़बरदस्त है और पूरी फिल्म उन्हीं के कन्धों पर टिकी है |

अय्यन मणि के स्टार बेटे आदि के रोल में अक्षत दास ने भी बढ़िया प्रदर्शन किया है | वे अपने अपनी एक्टिंग दर्शक को हैरान भी करते हैं और उनका दिल भी जीत लेते हैं | अक्षत के किरदार के एक से ज्यादा रूप हैं और वे सभी रूप उन्होंने गहनता से निभाये हैं जो उनकी उम्र के एक कलाकार के हिसाब से ज़बरदस्त प्रदर्शन है |

इंदिरा तिवारी का प्रदर्शन अय्यन मणि की पत्नी के रूप में खूबसूरत है | एक मां के किरदार में वे सहज लगती है और एक पत्नी के किरदार में वे मज़बूत लगती हैं | उनका स्क्रीन टाइम नवाज़ के मकाबले काफी कम है मगर फिर भी वे फिल्म देखने के बाद भी आपको याद रहती हैं और यही उनकी कामयाबी है |

सीरियस में में श्वेता बासु प्रसाद, नास्सर, और संजय नर्वेकर भी अहम् किरदारों में नज़र आये हैं और सभी अपने - अपने किरदारों में फिर फिर लगते हैं | फिल्म में म्यूज़िक का कुछ ख़ास काम नहीं है मगर जितना भी है वो कानों को अच्छा लगता है |

कुल मिलाकर सुधीर मिश्र की सीरियस मेन समाज में रहने वाले एक आम इंसान के सपनों की उड़ान की कहानी है जिसमे आप, खासकर अगर आप मा-बाप हैं तो खुद को ज़रूर देखेंगे | फिल्म आपका मनोरंजन भी करती है और जीवन की 'सीरियस' सच्चाई भी आपके सामने रखती है और ये दोनों ही काम असरदार तरीके से करती है | नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी और अक्षत दास का प्रदर्शन सराहनीय है और आपको ज़रूर पसंद आएगा |
'इमरजेंसी' रिव्यू: पुरानी भारतीय राजनीतिक की उथल-पुथल का एक नया नाटकीय वर्जन!

राजनीतिक ड्रामा इमरजेंसी दर्शकों को भारतीय इतिहास के सबसे विवादास्पद दौर में वापस ले जाती है - 1975 में लगाया गया

Friday, January 17, 2025
'आज़ाद' रिव्यू: राशा थडानी और अमन देवगन की रोमांटिक जोड़ी दर्शकों का मनोरंजन करने में कामयाब?

गोविंद खुद को आज़ाद की ओर आकर्षित पाता है, जो विद्रोही नेता विक्रम सिंह का एक राजसी घोड़ा है। विक्रम की दुखद मौत के

Friday, January 17, 2025
'फ़तेह' रिव्यू: अंत तक सस्पेंस बना कर रखता है सोनू सूद का स्टाइलिश एक्शन से भरपूर ईमानदार किरदार!

कोविड-19 महामारी के समय लोगों के लिए मसीहा बन कर सामने आए बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद आज के समय में किसी

Friday, January 10, 2025
'स्क्विड गेम 2' रिव्यू: पहले से काफी ज्यादा रोमांचक और खतरनाक हो गया है खूनी पैसों का खेल!

इस बात का तो सभी को पता है कि हॉलीवुड अपने मुनाफे को डबल करने के लिए हर कहानी को छोटे-छोटे पार्ट में बाँट देता है| लेकिन 'स्क्विड गेम' के पहले सीजन

Thursday, December 26, 2024
'पुष्पा 2: द रूल' रिव्यू: जंगली फूल बने अल्लू अर्जुन का तस्करी आंतक जारी!

अगर आपको पता हो फिल्म 'पुष्पा' का पहला पार्ट 17 दिसंबर 2021 को कोविड लॉकडाउन हटने के बाद बड़े पर्दे पर रिलीज़ किया गया था| इस मूवी के हिंदी, तेलुगू, तमिल और मलयालम भाषा जैसे सभी वर्जन को

Thursday, December 05, 2024
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT