निर्देशक: निखिल राव
रेटिंग: ***1/2
प्लेटफार्म: एम एक्स प्लेयर
बॉलीवुड बीते कई दिनों से ड्रग्स और नशे के कारण कुछ ज्यादा ही चर्चा में चल रहा है और इसी चर्चा का फायदा उठाते हुए एम् एक्स प्लेयर लेकर आया अपनी हालिया वेब सीरीज 'हाई'| हाई एक क्राइम-थ्रिलर है जो आपको ड्रग्स की दुनिया की कडवी सच्चाई से रूबरू करवाती है | डायरेक्टर निखिल राव की हाई 9 एपिसोड की सीरीज है जो मुंबई के अंडरवर्ल्ड के ड्रग्स बिज़नस के इर्द - गिर्द घूमती है जिसमे एक बड़ा बदलाव आता है जब मार्किट में एक नया प्रोडक्ट आता है जो धंधे को पूरी तरह बदल के रख देता है |
हाई की शुरुआत होती है साल 1972 में जहां जहां कुछ साइंटिस्ट्स एक ख़ास पौधे की तलाश में घूमते - घूमते एक जंगल में जा पहुँचते हैं | जिसके बाद ये सीरीज़ हमें आज में लेकर आती है जहां हमारी मुलाकात होती है शिव माथुर (अक्षय ओबेरॉय) से जो इमोशनल चोट खाया हुआ एक ड्रग एडिक्ट है | शिव नशे में डूबने का कोई भी मौका नहीं छोड़ता है और उसकी इस दर्दभरी का अंत होने ही वाला होता है की उसके पुराने दोस्त उसे एक निशा मुक्ति केंद्र लेकर जाते हैं जहाँ उसकी ज़िन्दगी बदल जाती है |
इसी बीच स्क्रीन पर एंट्री होती है काला सूट पहने काले कामों से लिप्त एक क्राइम एजेंट लकड़ा (रणवीर शोरे) की जिसकी खासियत उलझे हुए रहस्यों को सुलझाना और गोली चलाना है |
वही नशा मुक्ति केंद्र में शिव को उसकी ज़िन्दगी खुशनुमा लगने लगती है जब वह एक पाउडर जैसा चीज़ का सेवन करता है | शिव को ये जान कर काफी ख़ुशी होती है की डॉक्टर रॉय (प्रकाश बेलावड़ी) की रिसर्च का एक्सपेरिमेंट उस पर किया गया है जो की कामयाब रहा है | कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब डॉक्टर रॉय, डॉक्टर श्वेता (श्वेता बासु प्रसाद) और डॉक्टर नकुल (नकुल भल्ला) मिल कर इस चमत्कारिक दवाई का इस्तेमाल ड्रग एडिक्ट्स की मादद करने के लिए करते हैं| ये दवाई 'मैजिक' नाम की एक पिल के ज़रिये बाज़ार में उतारती है और कुछ ही समय में ड्रग्स माफिया में 'मैजिक' तहलका मचा देती है |
सीरीज़ में रोमांचक चरम पर पहुँच जता है जब मुंबई माफिया 'मैजिक' के सप्लायार्स की तलाश में मुंबई की सड़कों का रुख करता है और शुरू होता है जुर्म, सस्पेंस और थ्रिल का एक रोचक सिलसिला|
हाई की शुरुआत बेहद दमदार है और जिस तरह से सीरीज ड्रग्स की बात करती है ये एंटरटेनिंग होने के साथ - साथ आपको ड्रग्स से होने वाले नुक्सान और फायदे के बारे में भी सरलता से समझाती है | सीरीज़ के नाम की तरह ही इसके किरदार भी ज़्यादातर समय हाई ही रहते हैं जिन्हें देखने में मज़ा आता है |
निर्देशन से लेकर सीरीज़ के स्क्रीनप्ले तक हर चीज़ बेहद मनोरंजक है | हाई की कहानी तेज़ी से आगे बढ़ता है जो धीरे - धीरे दर्शकों की एक्साइटमेंट को भी आगे बढाता है| हर कलाकार अपने किरदार में उत्तम नज़र आता है चाहे वह ड्रग माफिया के रोल में कुनाल नायक हों या फिर पूरे शहर को हिला कर रख देने वाले शिव माथुर के रोल में अक्षय ओबेरॉय, हर कलाकार की एक्टिंग उम्दा है |
शिव माथुर के किरदार में अक्षय ओबेरॉय ने सराहनीय प्रदर्शन किया है, उनकी स्क्रीन प्रेज़ेस भी मज़बूत है जो आपकी आँखें उन पर से हटने नहीं देती | रणवीर शोरे एक बिना दिल-जान के अपराधी के रूप में आकर्षक लगते हैं, उनका किरदार काफी हटके है जिसे जो उसकी बात न माने उसे गोली मारने के अलावा और कुछ नहीं आता है |
श्वेता बासु प्रसाद और प्रकाश बेलावड़ी का स्क्रीन टाइम कम की है मगर उसमे भी दोनों अपनी मौजूदगी दर्ज करवाने में कामयाब रहते हैं |
सीधे तौर पर हाई एक ऐसा धागा जिससे कई और छोटे - छोटे धागे निकलते हैं, कुछ मज़बूत तो कुछ कमज़ोर मगर ये सभी धागे आपस में जुड़े रहते हैं | निर्देशक निखिल राव ने एक ही कहानी के अलग - अलग पहलुओं को दिलचस्प तरीके से स्क्रीन पर पेश किया है जो की काबिल'ए'तारीफ है हालांकि सीरीज दूसरे एपिसोड में कुछ धीमी पड़ जाती है मगर तीसरे एपिसोड से ऐसी रफ़्तार पकडती है जो बढती ही जाती है |
कुल मिलाकर हाई समाज में ड्रग्स और जुर्म की दुनिया का एक आइना है जिसमे सब कुछ साफ़ - साफ दिखता है| निखिल राव ने हाई के रूप में एक थ्रिल का एक बहतरीन व मनोरंजक नमूना पेश किया है | ऐसे माहौल में जहां देश में ड्रग्स आज कल कुछ ज्यादा ही चर्चा में है, हाई एक दिलचस्प वेब सीरीज़ है जिसे ज़रूर देख सकते हैं |