निर्देशक: हंसल मेहता
प्लेटफॉर्म: सोनी लिव
रेटिंग: ****
सोनी लिव की वेब सीरीज़ स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी एक अति रोमांचक कहानी है| यह देबाशीष बसु और सुचेता दलाल की किताब द स्कैम पर आधारित है जिसे फिल्म के रूप में निर्देशक हंसल मेहता ने सरलता और खूबसूरती से लोगों के सामने पेश किया है|
सीरीज की कहानी हर्षद मेहता (प्रतीक गांधी) के परिवार के इर्द-गिर्द घुमती नज़र आती है, जिसके पिता का कपड़ा का व्यापार है और वह चौपट हो चुका है। हर्षद शुरू से रिस्क लेना चाहता है, उसे रिस्क से इश्क है। परिवार को सहारा देने के लिए हर्षद चीता की रफ्तार से छलांगें भरता है। उसका उसूल भी एक, बस पैसा बनाना, इसके लिए वह आइंस्टीन की तरह सोचने लगता है और ऐसा करते-करते वह आगे चल दलाल स्ट्रीट का अमिताभ बच्चन बन जाता है।
बहुत सारे क्रिमनल केसेस और सिविल केसेस होने के बावजूद, हर्षद आम लोगों की नज़रों में हीरो नंबर वन बन जाता है। जैसे - जैसे सीरीज़ के एपिसोड गुजरते जाते हैं हर्षद मेहता के नए-नए कारनामे दर्शकों के सामने आने लग जाते हैं। फिर उनकी जिंदगी में एंट्री होती है एक काबिल जर्नलिस्ट सुचेता दलाल (श्रेया धन्वन्तरी) की और उसकी एक खबर से कैसे हर्षद की जिंदगी में तूफान आता है और वह बैंक के 500 करोड़ रुपये के घोटाले का हिस्सा बन जाता है | यह एक झटका उसे और परिवार को फिर सड़क पर ले आता है जिसके बाद उसकी जिंदगी में क्या उथल-पुथल होती है इसके लिए आपको यह वेब सीरिज़ देखनी पड़ेगी|
स्कैम 1992 इसी साल भारतीय स्टॉक मार्किट में हुए 500 करोड़ रुपये के घोटाले पर आधारित है जिसकी कहानी को निर्देशक हंसल मेहता ने दिलचस्प तरीके से लोगों के सामने प्रस्तुत किया है| सीरीज़ के डायलॉग्स की तारीफ जितनी की जाए उतनी कम है, जैसे- 'मैं सिगरेट नहीं पीता पर जेब में लाइटर रखता हूं, धमाका करने के लिए'। हर एक किरदार का अभिनय दर्शकों को सीरिज़ देखने के बाद याद दर्शकों को ज़रूर रहेंगे।
प्रतीक गांधी ने हर्षद के किरदार को इस तरह प्रदर्शित किया है कि दर्शक शायद उन्हें देखने के बाद, असली हर्षद के चेहरे को भूल जाएगें। उनका थिएटर बैकग्राउंड होना इस किरदार को और जबरदस्त बनाता है। उनकी बॉडी लैंग्वेज, डायलॉग डिलीवरी, वेशभूषा, सब कमाल की रही है। श्रेया ने सुचेता दलाल का किरदार उम्दा तरीके से निभाया है। सच का साथ देने वाले पत्रकार उस समय कैसे होते थे, यह श्रेया ने अच्छे से दर्शाया है। शारिब हाश्मी ने छोटी उपस्थिति में भी धमाल किया है। ललित, अनंत, रजत, निखिल द्विवेदी ने भी अपने अभिनय से लोगों को प्रभावित किया है|
स्कैम 1992 देबाशीष बासु और सुचेता दलाल की किताब 'द स्कैम' पर आधारित है जो 1992 में हुए स्टॉक मार्किट घोटाले पर आधारित है | यह एक ऐसा स्कैंडल था जिससे स्टॉक मार्केट और बैंकों के काम करने के तरीके की कई कमियां सामने आई थी। इसकी सफलता का श्रेय लेखन टीम को भी मिलना चाहिए, उन्होंने खूबसूरत कहानी है और दमदार डायलॉग लिखे हैं।
सीरीज के अंत तक आते - आते कहानी आर्थिक से राजनीतिक होने लगती है और हर्षद का यह बयान मायने रखता है कि "अगर मेरी पूंछ में आग लगाएंगे तो लंका उनकी भी जलेगी, मैं गिरा तो सबको गिराऊंगा|" पिछले कुछ महीनों में कई सारी क्राइम थ्रिलर सीरीज़ आई हैं, जिनके साथ बड़े-बड़े नाम जुड़े हुए थे लेकिन वो सभी ' स्कैम 1992' के सामने फीकी नज़र आती हैं।
कुल मिलाकर स्कैम 1992 एक एंटरटेनमेंट और रोमांच से भरपूर कहानी है | सीरीज न सिर्फ हर्षद मेहता की महत्वाकांक्षाओं और कारनामों को बड़े ही दिलचस्प तरीके से पेश करती है बल्कि स्टॉक मार्किट की बारीकियों को भी सरलते से समझाती है | स्कैम 1992 में कलाकारों की परफॉरमेंसेस मज़बूत हैं और कहानी मनोरंजक है तो ऐसे में अगर आप अच्छा सिनेमा देखने के शौकीन हैं तो इस सीरिज़ को बिल्कुल मिस मत करिए।