निर्देशक: विशाल पंडया
रेटिंग: ****
प्लेटफॉर्म: ज़ी5
क्राइम - थ्रिलर सीरीज़ व फ़िल्में हमेशा से ही हमारे दिल थाम के रखती आई हैं जिनमे आगे आखिर क्या होने वाला है इस बात का सस्पेंस हमेशा बना रहता है और ज़ी5 की पाइज़न 2 इस मामले में बिलकुल खरी उतरती है | नया सीज़न पिछले सीज़न से पूरी तरह नहीं जुड़ा है मगर उसके कुछ अंश यहाँ भी नज़र आते हैं | सीज़न 2 में स्क्रीन पर कुछ नए खिलाड़ी थ्रिल का नया पैकेज लेकर आते हैं जो खेल को रोचक ढंग से आगे बढाते हैं |
पाइज़न 2 की कहानी धोखेबाजी और बदले के इर्द-गिर्द रची गयी है जिसमे कई ट्विस्ट आते हैं | सीरीज़ की शुरुआत एक डायमंड रॉबरी से होती है जिसमें एक मिडिल क्लास लड़के जयवीर (करन वीर मेहरा) को गिरफ्तार कर लिया जाता है | जयवीर और उसके पिता को चोरी के इलज़ाम में सलाखों के पीछे भेज दिया जाता है और बदनामी के दर से उसके पिता आत्य्महत्या कर लेते हैं और सदमें से मां कोमा में चली जाती है |
जयवीर और उसके 3 और दोस्तों ऑस्कर, सारा और हर्ष ने मिल कर एक ग्रुप बनाया था जिसे वे सभी के नामों के पहले अक्षरों को मिला कर जोश बुलाते थे | 5 साल बाद इसी ग्रुप के तीनो मेम्बर सारा (राई लक्ष्मी), हर्ष (ज़ेन ईमाम) और सारा का भाई ऑस्कर (विन राणा) गोवा में जोश नाम से अपनी एक कंपनी शुरू करते हैं | सब कुछ ठीक चला रहा होता है मगर तभी उनकी ज़िन्दगी में कदम रखता है आदित्य सिंह (अफताब शिवदासानी) जो की अपने चालों से उनका रेसकोर्स जीत जाता है और जोश सड़क पर आ जाती है | मगर आदित्य आखिर ये सब क्यूँ कर रहा है? सवाल ये है और इसका जवाब यहाँ शुरू होने वाले सफ़र के अंत में मिलता है वो भी काफी दिलचस्प तरीके से |
पाइजन 2 की कहानी 3 चीज़ों पर फोकस करती है, डायमंड्स, रेस कोर्स और सोना | बतौर निर्देशक विशाल पंडया ने शानदार काम किया है | सीरीज में कई किरदार हैं जो कहानी के लिए महत्त्वपूर्ण हैं और ऐसे में कई बार दर्शक उल्जहन में पद जाता है की आखिर कौन क्या कर रहा है मगर विशाल ने हर किरदार और हर पहलु को सरलता से पेश किया है जो कंफ्यूज नहीं करता|
हालांकि शुरुआत में स्क्रीनप्ले कुछ ज्यादा ही तेज़ी से आगे बढ़ता है और कुछ दृश्य ऐसे आते हैं जिन्हें देख कर लगता है की इस समय इनकी ज़रुरत तो बिलकुल नहीं थी और इन दृश्यों में काफी हॉट लव मेकिंग सीन्स भी शामिल हैं | लेकिन, कुल मिलाकर कहानी का निर्देशन और एडिटिंग दोनों ही काफी बढ़िया है जो आपका ध्यान स्क्रीन पर टिका कर रखते हैं |
जैसे - जैसे कहानी आगे बढती है हर किरदार का मकसद सामने आता जाता है और दर्शक यही अंदाजा लगता रह जाता है की आखिर आगे क्या होगा मगर आपका कभी भी सही नहीं होता| पाइज़न 2 का प्लाट धोखे, बदले, और पैशन से भरा है और यही एलेमेंट्स अंत तक रोमांच बना कर रखते हैं |
रेहान खान की कहानी में सर भी है और पैर भी और कौन सा किरदार क्या कर रहा है इसके पीछे भी वजह है जो की क्लाइमेक्स में आपके सामने आती है | सीरीज़ का बैकग्राउंड म्यूज़िक भी शानदार है और इसकी थीम को और निखारता है |
परफॉरमेंस फ्रंट पर अफताब शिवदासानी ने इस सीरीज फे ओटीटी की दुनिया में कदम रखा है और चतुर-चालाक आदित्य सिंह के किरदार में वे परफेक्ट लगे हैं | आफताब की चाल-ढाल, उनका किरदार का रंग-ढंग और हाव-भाव हर चीज़ कमाल है और साथ ही ज़ेन इमाम व चीन राणा की एक्टिंग भी बढ़िया है |
जयवीर की बहन ईशा के रूप में पूजा चोपड़ा का प्रदर्शन औसत रहा है | उनके इमोशनल पल तो अच्छे हैं मगर बाकी समय उनका किरदार कुछ कमज़ोर नज़र आता है | वहीँ सारा के रूप में राई लक्ष्मी की परफॉरमेंस भी मज़बूत है और उन्होंने अपने किरदार के साथ पूरा इन्साफ किया है |
अंत में, पाइज़न 2 एक रोमांचक सस्पेंस-थ्रिलर है जो सस्पेंस और थ्रिल दोनों को अंत तक कायम रखती है| ज़ी5 की इस सीरीज़ में मिस्ट्री, ड्रामा, और कामुकता का एक मनोरंजक मिश्रण है जो शुरू से अंत तक आपको बाँध कर रखती है | अगर क्राइम-थ्रिलर फिल्मों या सीरीज़ के शौक़ीन हैं तो पाइज़न 2 ज़रूर देखें |