A Suitable Boy (अ सूटेबल बॉय) रिव्यु: तब्बू, ईशान व तानिया की एक्टिंग बचाती है इज्ज़त

Saturday, October 24, 2020 14:42 IST
By Santa Banta News Network
निर्देशक: मीरा नायर

कास्ट: ईशान खट्टर, तान्या माणिकतला, तब्बू

प्लेटफॉर्म: नेटफ्लिक्स

रेटिंग: **1/2

मीरा नायर की बहुप्रतीक्षित वेब सीरीज़ अ सूटेबल बॉय हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हो चुकी है और हम आपके लिए लेकर आए हैं इस सीरीज़ का पूरा रिव्यू। सीरीज़ की कहानी चार परिवार- मेहरा परिवार, कपूर परिवार, खान परिवार और चटर्जी परिवार की है| मेहरा परिवार की बड़ी बेटी सविता (रसिका दुगल) की शादी, कपूर परिवार के बड़े बेटे के साथ होती है और यहीं से सीरीज़ की शुरूआत होती है। जब सविता की मां, अपनी छोटी बेटी लता (तान्या माणिकतला) के लिए भी जल्दी ही एक योग्य वर ढूंढने का ज़िम्मा लेती है|

1950 के दशक में सेट इस सीरीज़ में लता (तान्या माणिकतला) और उसके तीन चाहने वाले शामिल हैं जिनमें से किसी एक को लता को अपने पति के रूप में चुनना है। वहीं दूसरी ओर मान कपूर (ईशान खट्टर), एक ज़मींदार का लड़का है जो अपने पिता के समाज सेवी की छवि को खुद में ना ढूंढकर सईदा बेगम (तब्बू) के इश्क़ में पागल है। लेकिन इन तीन लड़कों में कौन लता के लायक है और क्या लता वाकई किसी के लायक है, ये आपको पता चलेगा आखिरी एपिसोड में। वहीं दूसरी तरफ, मान और उससे उम्र में दोगुनी सईदा बेगम का इश्क़ भी कितना मुकम्मल होता है, ये आपको सीरीज़ के अंत में ही पता चलेगा|

अ सूटेबल बॉय वैसे तो इशान खट्टर और तान्या माणिकतला पर केन्द्रित है लेकिन इन दो किरदारों के बीच भी महफिल लूट ले जाने का काम तब्बू ने बखूबी किया है। जब भी वो स्क्रीन पर होती हैं आप उनसे आप अपनी नज़रे हटा नही पाते। ऐसा नहीं है कि उनके किरदार में कुछ नया है, लेकिन फिर भी तब्बू उसमें ऐसा जादू डालती हैं कि आपको कुछ पुराना याद नहीं रहता है|

सीरीज़ में काफी कलाकार लिए गए हैं और सभी ने अपने किरदारों में जान डालने की कोशिश की है लेकिन हर किसी के हिस्से में 6 घंटों में ज्यादा स्क्रीन टाइम आ नहीं पाता | जितनी कि दर्शक उम्मीद करते हैं। यहां तक कि मुख्य किरदार ईशान खट्टर आपको तीन घंटे की सीरीज़ के बाद अपने फॉर्म में आते दिखाई देते हैं। दूसरी तरफ लता के रूप में तान्या आपको सीरिज़ के साथ जोड़कर रखने की पूरी कोशिश करती दिखाई देगीं।

अगर फिल्म में कलाकारों की बात करें तो राम कपूर, एक राजनेता के रूप में प्रभावी नज़र आए हैं तो मंत्री के छोटे से किरदार में विनय पाठक भी शानदार नज़र आए हैं। लता की बहन के रूप में रसिका दुग्गल पूरी सीरीज़ में आपको दिखेंगी लेकिन उनके हिस्से कुछ प्रभावशाली नहीं आ पाया है। वहीं शहाना गोस्वामी और रणदीप हुडा का अफेयर दर्शकों का काफी ध्यान आकर्षित करते हैं हालांकि इतने छोटे किरदार में रणदीप का दिखा भी अजीब लगता है| रशीद के रूप में विजय वर्मा और वारिस के रूप में रणवीर शौरी की आखिर यहाँ क्यों और क्या ज़रूरत थी ये समझना भी मुश्किल है|

निर्देशक मीरा नायर ने सीरीज़ के द्वारा दर्शकों को बाँधने की कोशिश की है जिसमें वे कुछ हद तक सफल भी हुई हैं जिसके लिए वे बधाई की पात्र हैं। सीरीज़ केवल एक लड़की के लिए ढंग का लड़का चुनने पर केंद्रित हो सकती थी लेकिन उन्होंने इसे विभाजन के बाद देश में उभरे हिंदू-मुस्लिम के दंगों में, नए कानून और समाज के लिए पनप रहे विद्रोह में कुछ उलझा दिया है जिससे कहानि मुख्य उद्देश्य से भटक जाती है|

सीरीज़ के लेखक एंड्र्यू डेविस ने विक्रम सेठ के 1993 में छपे उपन्यास अ सूटेबल बॉय के 1359 पन्नों को 8 एपिसोड्स में समेटने की नाकामयाब कोशिश की है। राइटिंग डिपार्टमेंट शायद ज़्यादा ही भावों में बह गया क्यूंकि 6 एपिसोड की ये सीरीज 4 एपिसोड में आराम से ख़त्म की जा सकती थी मगर नहीं और इसी कारण ये काफी खिंची हुई लगती है |।

सिनेमेटोग्राफी ठीक है मगर प्रोडक्शन डिज़ाईन विफल रहा है| दंगों से लेकर कोठों तक, कलकत्ता से लेकर लखनऊ तक, हवेली से लेकर कॉलेज तक कुछ भी आपको 1950 में लेकर नहीं जाता है|

ये सीरीज़ अंग्रेज़ी में बनाई गई है और इसे हिंदी में डब किया गया है, और ये डबिंग निराशाजनक है। आप कभी कभी किरदारों और उनकी आवाज़ों को साथ जोड़ नहीं पाएंगे तो कभी बस हिंदी के डायलॉग्स और उर्दू की शायरियों में उलझे रह जाएंगे।

कुल मिलाकर अ सूटेबल बॉय एक मिला-जुला एक्सपीरियंस है| कई कमियों के बावजूद ये सीरीज़ में तब्बू, ईशान खट्टर, व तानिया माणिकतला की उम्दा एक्टिंग कहानी का जागृत करके रखती है और यही पात्र हैं जो पात्र नही बल्कि असली लगते हैं | आप इनसे जोड़ कर खुद को देख पाते हैं, इसलिए अ सूटेबल बॉय को 2.5 स्टार, चाहें तो एक बार देख सकते हैं |
'इमरजेंसी' रिव्यू: पुरानी भारतीय राजनीतिक की उथल-पुथल का एक नया नाटकीय वर्जन!

राजनीतिक ड्रामा इमरजेंसी दर्शकों को भारतीय इतिहास के सबसे विवादास्पद दौर में वापस ले जाती है - 1975 में लगाया गया

Friday, January 17, 2025
'आज़ाद' रिव्यू: राशा थडानी और अमन देवगन की रोमांटिक जोड़ी दर्शकों का मनोरंजन करने में कामयाब?

गोविंद खुद को आज़ाद की ओर आकर्षित पाता है, जो विद्रोही नेता विक्रम सिंह का एक राजसी घोड़ा है। विक्रम की दुखद मौत के

Friday, January 17, 2025
'फ़तेह' रिव्यू: अंत तक सस्पेंस बना कर रखता है सोनू सूद का स्टाइलिश एक्शन से भरपूर ईमानदार किरदार!

कोविड-19 महामारी के समय लोगों के लिए मसीहा बन कर सामने आए बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद आज के समय में किसी

Friday, January 10, 2025
'स्क्विड गेम 2' रिव्यू: पहले से काफी ज्यादा रोमांचक और खतरनाक हो गया है खूनी पैसों का खेल!

इस बात का तो सभी को पता है कि हॉलीवुड अपने मुनाफे को डबल करने के लिए हर कहानी को छोटे-छोटे पार्ट में बाँट देता है| लेकिन 'स्क्विड गेम' के पहले सीजन

Thursday, December 26, 2024
'पुष्पा 2: द रूल' रिव्यू: जंगली फूल बने अल्लू अर्जुन का तस्करी आंतक जारी!

अगर आपको पता हो फिल्म 'पुष्पा' का पहला पार्ट 17 दिसंबर 2021 को कोविड लॉकडाउन हटने के बाद बड़े पर्दे पर रिलीज़ किया गया था| इस मूवी के हिंदी, तेलुगू, तमिल और मलयालम भाषा जैसे सभी वर्जन को

Thursday, December 05, 2024
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT