तैश रिव्यु: एक नयापन लिए हुए है बिजॉय नाम्बिआअर की क्राइम-ड्रामा तैश

Thursday, October 29, 2020 17:57 IST
By Santa Banta News Network
निर्देशक: बेजॉय नांबियार

कास्ट: जिम सर्भ, पुलकित सम्राट, हर्षवर्धन राणे, संजीदा शेख, कृति खरबंदा, अभिमन्यु सिंह, अंकित राठी, अरमान खेड़ा

प्लेटफार्म: ज़ी5

रेटिंग: ***

ओटीटी की दुनिया में दर्शकों को ऐसे कंटेंट की उम्मीद रहती है जो रूटीन मनोरंजन से थोड़ा अलग हो, मगर निर्देशक बिजॉय नांबियार की तैश इस कसौटी पर खरी नहीं उतरती| कहानी की शुरुआत में जो कुछ नयापन लगता है उसकी चमक थोड़ी ही देर में खत्म हो जाती है, यह सीरिज़ धीरे-धीरे एक साधारण क्राइम ड्रामे में बदल जाती है| लेखक- निर्देशक बेजॉय नांबियार ने अपनी नई फिल्म 'तैश को वेब सीरीज़ की तरह भी रिलीज किया गया है। सीरीज के छह एपिसोड करीब तीन घंटे के हैं और फिल्म भी लगभग उतने ही समय की है, अगर आप इसको देखने कि सोच रहे तो पहले इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी यहाँ पढ़ लें |

'तैश' जी5 पर आई एक फिल्म और वेब सीरिज़ है, करीब आधे-आधे घंटे के छह एपिसोड इसके वेब सीरिज़ के लिए बनाए गए हैं| अगर आप शादी और क्राइम का मिक्स देखन चाहते हैं तो इसे देख सकते हैं, इसमें संदेह नहीं की 'तैश' की शुरुआत अच्छी है, रफ्तार के साथ यह बढ़ती है और यहां इसे खूबसूरती से एडिट किया गया है| कहानी पांच सितारा होटल के पुरुषों के बाथरूम में हुई एक खूनी घटना से शुरू होती है, इसको देखकर सभी के मन में एक ही सवाल पैदा होता है कि जो हुआ, वह क्यों हुआ?

इसके बाद ज्यादा कुछ भले नहीं घटता मगर पंजाबी शादी की तैयारियां, डांस, गीत-संगीत, दूल्हा-दुल्हन के बीच समस्याएं, किरदारों के आपसी झगड़ों से लेकर कुछ रोमांस से सीरीज़ बांधे रहती है| रोहन कालरा (जिम सारभ) कुछ ओवर ऐक्टिंग करते हुए भी ठीक लगते हैं और सनी लालवानी (पुलकित सम्राट) की एंट्री बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में होती है| यहां तक लगता है कि आगे भी ऐसे चला तो आप एंटरटेन होते रह सकते हैं| मगर जैसे ही सीरीज़ में इस सवाल का जवाब मिलता है कि पहले सीन में खूनी घटना क्यों हुई, तैश पटरी से तैश पटरी उतरती नज़र आती है|

नाच-गाना-रोमांस खत्म हो जाता है, बदले की कहानी शुरू हो जाती है| जिसके कई सिरे खुले और गैर-जरूरी नजर आने लगते हैं, यहां से आपको खुद ही पता चलना शुरू हो जाएगा कि आगे क्या-क्या होने वाला है| कहानी दो साल आगे छलांग मारते हुए और अधिक रूटीन होकर उबाने लगती है| राइटरों और डायरेक्टर ने इस हिस्से पर कुछ खास सोचा होगा, ऐसा नहीं लगता| बल्कि लगता है कि पुरानी ऐक्शन फिल्मों के ड्रामे को उठा कर चिपका दिया गया है, यहां रोहन कालरा (जिम सारभ) के अलावा कोई ऐक्टर असर नहीं छोड़ता| पुलकित को शुरुआत में देख कर लगता है कि वह शायद अपनी पिछली खराब फिल्मों से कुछ बेहतर करने वाले हैं, मगर निर्देशक ने उन्हें दूसरे हिस्से में फिर पुराने रास्ते पर डाल दिया| कुल मिलाकर कहा जाए तो 'तैश' एक औसत फिल्म बनकर रह जाती है, जिसमें बॉलीवुड के वे सारे मसाले हैं, जिनसे ऊब कर हम ओटीटी पर लगातार नए की तलाश करते रहते हैं|

टीजर और फिर ट्रेलर जब से रिलीज़ हुआ था, लोग इस फिल्म के रिलीज़ होने का बेसब्री के साथ इंतजार कर रहे थे। बेजॉय के प्रशंसक कुछ डरे सहमे भी दिखे क्योंकि अक्सर जिन फिल्मों के ट्रेलर उम्मीद से ज्यादा शानदार होते रहे हैं, वे फिल्में अपने ट्रेलर की कसौटी पर ही फेल हो जाती रही हैं और बेजॉय की टीम के साथ भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। उन्होंने फिल्म 'डेविड' और सोलो जैसी घिसी-पिटी कहानी को लोगोंनके सामने प्रस्तुत किया है|

फिल्म के निर्देशक के तौर पर बेजॉय ने यहां एक ऐसी कहानी चुनी है जिसमें हर किरदार अधूरा नज़र आया है, न तो किसी की शख्सियत संपूर्ण है और न ही किसी में ऐसी कोई ख्वाहिश ही है। सबके अपने अपने अतीत हैं और सब वर्तमान में एक दूसरे से लड़ने के साथ साथ अपने भीतर अपने आप से लड़ रहे हैं। कहानी, कभी आज में तो कभी 10, आठ और दो बरस पहले जाकर अपने से ही लड़ती रहती है। इस कहानी को कहने के लिए बेजॉय ने हिंदी सिनेमा के आधा दर्जन कलाकारों का चयन किया, परन्तु कोई भी दर्शकों के मन में कुछ खास छाप नही छोड़ पाया|

अभिनय के लिहाज से किसी एक कलाकार की फिल्म नहीं है। जब लगता है कि जिम सरभ बतौर जूनियर कलाकार सबसे आगे निकल जाएंगे तो कहानी में सनी लालवानी यानी पुलकित फिर से लौट आते हैं। जिम सरभ की यहां दाद देनी होगी कि उन्होंने बहुत ही अच्छे तरीके से पूरी कहानी को बनाए रखने का है। कुलजिंदर के रूप में अभिमन्यु सिंह इस तरह के किरदार पहले भी कर चुके हैं, लेकिन इस बार बीवी के साथ साथ साली को भी हड़पने वाले बड़े भाई के किरदार में उन्होंने दर्शकों के दिलों पर अलग असर छोड़ा है। अपने अपाहिज साले का मजाक उड़ाने वाला जीजा जब उसी की गति को प्राप्त होता है तो उन दृश्यों में अभिमन्यु की लाचारी साफ नज़र आती है अगर आप इसको देखने का मन बना रहे हैं तो इसके बारे में अच्छे से जन लें|

तेलुगु सिनेमा में बड़ा नाम बन चुके हर्षवर्धन राणे(पाली) ने हिंदी सिनेमा मे जो अभिनय इस बार दिखाया है, वह उनकी 'सनम तेरी कसम' और 'पलटन' की विफलताएं बना कर रखता है। फिल्म 'तैश' की असली खोज हैं संजीदा शेख(जाहान), अपनी बड़ी बहन के घर में रहते हुए उसके देवर से प्रेम करने वाली और अपने जीजा की हवस के निशाने पर आने वाली भूमिका में संजीदा शेख ने इस साल की अब तक रिलीज़ हुई फिल्मों में सबसे अच्छा प्रदर्सन किया है।

उनकी फिल्म 'काली खुही' भी शुक्रवार को रिलीज़ हो रही है और वहां भी उनका काम नोटिस जरूर किया जाएगा। टेलीविजन पर लंबा समय बिताने के बाद संजीदा ने बहुत ही संजीदा तरीके से सिनेमा में कदम रखा है। अगर उन्हें सही निर्देशक और सही कहानियां मिलती रहीं तो वह जल्दी ही उस मुकाम तक पहुंच सकती हैं, जहां दीपिका पादुकोण के ठीक बाद फिलहाल कोई नहीं है। फिल्म निर्माता करीम मोरानी की बेटी जोया ने भी इस बार ग्लैमर की बजाय एक्टिंग दिखाने की कोशिश कि है परन्तु वह उसमें सफल नही हो पाई हैं|

निर्देशन, कहानी, पटकथा और अभिनय के कमजोर पड़ने के बाद, हर्षवीर ओबेरॉय की सिनेमैटोग्राफी ने जरुर फिल्म के लिए एक अलग किरदार निभाया है। विदेशी आउटडोर लोकेशंस की खूबसूरती तो उन्होंने अच्छे से दिखाई ही, असल हुनर उनका दिखा है लो लाइट वाले सीन्स में, जहां उनका प्रकाश और छाया का इस्तेमाल इस फिल्म को विश्व सिनेमा की टक्कर का बना देता है। खासतौर से वह सीन बहुत ही अच्छा बन पड़ा है जब क्लाइमेक्स से ठीक पहले रोहन और सनी एक कमरे में एक दूसरे से बातें कर रहे होते हैं।
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