Kaali Khuhi Review (काली खुही) रिव्यु: खूबसूरत सिनेमेटोग्राफी, पर हॉरर के नाम पर फिसड्डी है फिल्म

Friday, October 30, 2020 17:55 IST
By Santa Banta News Network
निर्देशक: टेरी समुन्द्रा

कास्ट: शबाना आजमी, रीवा अरोड़ा, संजीदा शेख, सत्यदीप मिश्र, लीला सैमसन, हेतवी भानुशाली और रोज राठौड़

प्लेटफार्म: नेटफ्लिक्स

रेटिंग:**

'गुल' और 'बेताल' से भारतीय फैन्स को हॉरर डिपार्टमेंट में कंटेंट और क्वालिटी दोनों देने के बाद नेटफ्लिक्स आपको डराने के लिए लेकर आया है काली खुही | इस फिल्म से निर्देशन में कदम रखा है तो आइये ज़रा देखें की काम में नेटफ्लिक्स को इस बार कामयाबी मिली है या नहीं |

टेरी समुन्द्रा की 'काली खुही' कहानी है एक 9-10 साल की बच्ची शिवांगी (रीवा अरोड़ा) की जिसकी दादी (शबाना आज़मी) की तबीयत खराब है और उनका ध्यान रखने के लिए उसके मां - बाप प्रिया (संजीदा शेख) और दर्शन (सत्यदीप मिश्रा) अपने पंजाब में अपने गाँव जाने का फैसला करते हैं | रस्ते में ही शिवानी को कुछ अजीब सा महसूस होने लगता है और गाँव पहुँचने के बाद और भी अजीबो-गरीब घटनाएं होने लगती हैं | इस गाँव में कन्या भ्रूण ह्त्या जैसा अपराध कई घरों में होता आया था हालांकि अब हालात कुछ काबू में हैं | लेकिन हालात हाथ से निकल तब जाते हैं जब गाँव की सालों से बंद पड़ी पुरानी खुही जिसे काली खुही भी कहते हैं, उसका ढक्कन टूट जाता है और एक ऐसी जानलेवा चीज़ बाहर आती है जिससे बरसों पुराने दबे हुए डरावने राज़ धीरे-धीरे खुलने लगते हैं | अब इस राज़ से शिवांगी का क्या रिश्ता है ये पता चलेगा आपको फिल्म देखने पर |

टेरी समुंद्रा की 'काली खुही' भारत के कई हिस्सों में आज भी प्रचलित कन्या भ्रूण हत्या या फिर बेटियों को जन्म होते ही मार देने वाली शर्मनाक प्रथा पर निशाना साधते हुए कटाक्ष करती है | टेरी ने अपनी फिल्म के ज़रिये ये सीरियस मुद्दा उठाता भी है और अपनी बात को अलग ढंग से कहने की कोशिश भी की है जिसके लिए उन्हें फुल मार्क्स मिलते हैं | लेकिन सिर्फ यही काफी नहीं, मुद्दे के साथ - साथ कहानी में भी दम और असर होना चाहिए जो पूरी फिल्म में बहुत कम जगह दिखता है |

गाँव-देहात के माहौल को फिल्म में निर्देशक ने बखूबी कैद किया है और एक -एक चीज़, चाहे वह गाय-भैंस हों, झोंपड़ी हो या फिर ग्रामीण इलाकों में पड़ने वाली सर्दी का कोहरा हो हर चीज़ देखने में सुन्दर लगती है मगर फिल्म को बचाने के लिए सिर्फ यही काफी नहीं | काली खुही उस घर की तरह है जो बाहर से दिखने में जितनासुन्दर है अन्दर से उतना ही फटेहाल है | फिल्म को खूबसूरत बनाती है इसकी बढ़िया सिनेमेटोग्राफी और कमज़ोर बनाती है इसके बेजान कहानी व स्क्रीनप्ले | हॉरर के नाम पर फिल्म में डरावमे पल बहुत ही कम हैं जो उँगलियों पर गिने जा सकते हैं जो इस हॉरर फिल्म फिल्म की आधी कहने पहले ही ख़त्म कर देते हैं |

एक्टिंग की बात करें तो काली खुही की सबसे मज़बूत कड़ी शबाना आज़मी ही हैं | शबाना आज़मी बहतरीन हैं और उनका बूढी दादी का दमदार किरदार जितना कोमल है उतना ही भयानक भी है और वही हैं जो फिल्म को गिरने से बचा कर रखती हैं| दर्शन के किरदार में सत्यदेव मिश्रा का काम ठीक - ठाक है मगर रीवा और संजीदा शेख ने शिवांगी व प्रिया के रोल में उम्दा प्रदर्शन दिखाया है ।

दोनों ने अपने किरदारों को समझा है और उसी हिसाब से रोल की ज़रूरत देखते हुए उनमें ढले हैं | संजीदा डायलॉग्स से ज्यादा चेहरे के हाव-भाव और आँखों से बात करती हैं और रीवा भी अपने रोल से फिल्म को सपोर्ट देती हैं | बाकी कलाकारों में कोई भी याद नहीं रहता और बेक ग्राउंड म्यूज़िक जो की हॉरर फिल्मों में सबसे ज़रूरी पहलुओं में से एक है, वो जितना भी है, प्रभाव पैदा करने में असफल रहता है |

कुल मिलाकर काली खुही में शबाना आज़मी, रीवा अरोड़ा व् संजीद शेख की एक्टिंग और सिनेमैटोग्राफर सेजल शाह का काम ये दोनों चीज़ें ही देखने लायक हैं । कहानी या हॉरर के नाम पर फिल्म में कुछ दमदार नहीं है और बेकग्राउंड म्यूजिक भी फियर फील को बढाने में नाकाम रहता है | कुछ और देखने का मन न हो तो एक बार इसे तरी कर सकते हैं, हॉरर फिल्मों के शौक़ीन हैं तो निराश होंगे|
'इमरजेंसी' रिव्यू: पुरानी भारतीय राजनीतिक की उथल-पुथल का एक नया नाटकीय वर्जन!

राजनीतिक ड्रामा इमरजेंसी दर्शकों को भारतीय इतिहास के सबसे विवादास्पद दौर में वापस ले जाती है - 1975 में लगाया गया

Friday, January 17, 2025
'आज़ाद' रिव्यू: राशा थडानी और अमन देवगन की रोमांटिक जोड़ी दर्शकों का मनोरंजन करने में कामयाब?

गोविंद खुद को आज़ाद की ओर आकर्षित पाता है, जो विद्रोही नेता विक्रम सिंह का एक राजसी घोड़ा है। विक्रम की दुखद मौत के

Friday, January 17, 2025
'फ़तेह' रिव्यू: अंत तक सस्पेंस बना कर रखता है सोनू सूद का स्टाइलिश एक्शन से भरपूर ईमानदार किरदार!

कोविड-19 महामारी के समय लोगों के लिए मसीहा बन कर सामने आए बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद आज के समय में किसी

Friday, January 10, 2025
'स्क्विड गेम 2' रिव्यू: पहले से काफी ज्यादा रोमांचक और खतरनाक हो गया है खूनी पैसों का खेल!

इस बात का तो सभी को पता है कि हॉलीवुड अपने मुनाफे को डबल करने के लिए हर कहानी को छोटे-छोटे पार्ट में बाँट देता है| लेकिन 'स्क्विड गेम' के पहले सीजन

Thursday, December 26, 2024
'पुष्पा 2: द रूल' रिव्यू: जंगली फूल बने अल्लू अर्जुन का तस्करी आंतक जारी!

अगर आपको पता हो फिल्म 'पुष्पा' का पहला पार्ट 17 दिसंबर 2021 को कोविड लॉकडाउन हटने के बाद बड़े पर्दे पर रिलीज़ किया गया था| इस मूवी के हिंदी, तेलुगू, तमिल और मलयालम भाषा जैसे सभी वर्जन को

Thursday, December 05, 2024
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT