Ludo Review: कॉमेडी, रोमांस, ऐक्‍शन का मज़ेदार मिश्रण है अनुराग बासु की 'लूडो'

Friday, November 13, 2020 12:48 IST
By Santa Banta News Network
कलाकार: अभिषेक बच्चन, आदित्य रॉय कपूर, राजकुमार राव, रोहित सराफ, फातिमा सना शेख, सान्या मल्होत्रा, पर्ल माने, इनायत वर्मा और पंकज त्रिपाठी आदि

निर्देशक: अनुराग बासु

ओटीटी: नेटफ्लिक्स

रेटिंग: ***1/2

अनुराग बासु की फिल्म 'लूडो' के ट्रेलर को देखकर दर्शकों की उत्सुकता बहुत ज्यादा बढ़ गयी थी और हाल ही में रिलीज़ हुई यह फिल्म फैन्स की उम्मीदों पर खरी उतरती दिखाई देती है। इसमें एक साथ कई कहानियां चलती हैं जो कई किरदारों पर केन्द्रित हैं, ये सभी अपनी जिंदगी में धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं। फिल्म की कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है इसके सभी किरदारों की कहानी भी एक दूसरे से जुड़ती नज़र आती है। सभी कहानियों का एक केंद्र हैं सत्तु भैया जो गैंगस्‍टर हैं और फिल्म की कहानी इस तरह चलती है जैसे लूडो का खेल चलता है| तो अगर आप इसे देखने की सोच रहे हैं तो उससे पहले इसके बारे में यहाँ अच्छे से जान लें |

'लूडो' की कहानी चार लोगों की निजी जिंदगी के इर्द-गिर्द घुमती है जो अलग-अलग मोड़ पर एक दूसरे से टकराते हैं।पहली कहानी है आकाश की (आदित्य रॉय कपूर), जिसका अपनी गर्लफ्रैंड आहना (सान्या मल्होत्रा) के साथ एक सेक्स टेप पौर्न साइट पर लीक कर दिया गया है। आहना की चार दिनों में किसी और से शादी होने वाली होती है, लेकिन अब यह टेप दोनों की जिंदगी में घमासान पैदा कर देता है और इन दोनों को मुसीबत से निकालने आते हैं सत्तू त्रिपाठी (पंकज त्रिपाठी)। दूसरी कहानी है बिट्टू तिवारी (अभिषेक बच्चन) की, जो कभी सत्तू त्रिपाठी का दाहिना हाथ माना जाता था। लेकिन घर बसाने के लिए उसने अपराध की दुनिया से नाता तोड़ लिया। उसका अब भरा पूरा परिवार है, लेकिन कहते हैं कि भूतकाल मैं किए गए कर्मों का फल कभी न कभी मिलता ही है।


तीसरी कहानी है आलोक उर्फ आलू (राजकुमार राव) की, जो पिंकी (फातिमा) से बेतहाशा प्यार करता है और उस प्यार के चक्कर में वह चोरी से लेकर मर्डर तक कर बैठता है। चौथी कहानी है राहुल (रोहित सराफ) और श्रीजा (पर्ल माने) की, जो अपनी-अपनी जिंदगी और नौकरी से परेशान हैं। लेकिन एक झटके में किस्मत ऐसा पासा फेंकती है कि दोनों की सीधी सी जिंदगी एक क्षण में बदल जाती है। इन सभी किरदारों से जुड़े डॉन सत्तू त्रिपाठी (पंकज त्रिपाठी) के जीवन की घटनाएं कुछ इस तरह घटित होती हैं की इन सभी को लूडो गेम की तरह अपने-अपने घरों में पहुंचा देती हैं और ये होता कैसे है इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी|

लूडो के द्वारा अनुराग बासु ने चार कहानियों के ज़रीए एक साथ अलग-अलग जॉनर को दिखाने की कोशिश की है जिसमे वे खूबसूरती से सफल हुए हैं। फिल्म में कॉमेडी, इमोशन, संस्पेंस और रोमांस का तगड़ा मिश्रण है जो शुरू से अंत तक आपका खूब मनोरंजन करता है । हर सीन को देखने के बाद भी अगले क्षण क्या होने वाला है, इसका अनुमान लगाने में काफी हद तक शायद आप फेल हो सकते हैं और ये डायरेक्टर अनुराग बासु की सबसे बड़ी कामयाबी है |


लूडो के सभी किरदार काफी दमदार नज़र आए हैं, बिट्टू तिवारी के रूप में अभिषेक बच्चन अपने किरदार में पूरी तरह डूबे हुए नज़र आए हैं। कभी गुस्सा, कभी प्यार तो कभी इमोशनल, उनके चेहरे पर सभी भाव बखूबी दिखाई दिए है। वहीं, आलोक कुमार गुप्ता उर्फ आलू बनकर राजकुमार राव ने भी जबरदस्त अभिनय किया है। पंकज त्रिपाठी, फातिमा सना शेख, आदित्य रॉय कपूर, सान्या मल्होत्रा, रोहित सराफ, पर्ल माने, इनायत वर्मा का काम सराहनीय है। इतनी लंबी चौड़ी कास्ट होने के बावजूद भी निर्देशक अनुराग बासु ने सभी किरदारों पर पकड़ बनाए राखी है और उनकी कहानी के साथ भी न्याय किया है।

निर्देशन के आलावा अनुराग बसु ने ही फिल्म की कहानी, सिनेमेटोग्राफी, स्क्रीनप्ले और प्रोडक्शन का ज़िम्मा भी अपने हाथ में ही रखा है और हर डिपार्टमेंट में उन्होंने बढ़िया काम किया है। अनुराग की अपनी एक छाप है, जो लूडो में साफ नज़र आती है, फिल्म का स्क्रीनप्ले आपको किरदारों से जोड़कर रखता है| चारों कहानीयां और उनके किरदारों के अलग-अलग परिवेश काफी शानदार तरीके से दिखाए गए हैं। अजय शर्मा द्वारा की गई एडिटिंग लूडो को और बेहतर और प्रभावित करने वाली बना देती है|


इस फिल्म में संगीत प्रीतम दा ने दिया है, जबकि सईद कादरी, स्वानंद किरकिरे, श्लोक लाल और संदीप श्रीवास्तव द्वारा इसके बोल लिखे गए हैं। फिल्म के गाने कहानी को आगे बढ़ाते नज़र आते हैं। अरिजित सिंह की आवाज में 'आबाद बर्बाद' कानों को सुकून देता है |

कुल मिलाकार लूडो एक दमदार एंटरटेनर है जिसका सबसे मज़बूत पक्ष है इसकी स्टारकास्ट जिसमें हर कलाकार ने शुरु से अंत तक अपने किरदार को मज़बूती से पकड़े रखा है। चारों कहानियां अलग-अलग और काफी दिलचस्प नज़र आई है। फिल्म का माइनस पॉइंट है इसकी लंबाई है क्यूंकि ढ़ाई घंटे के दौरान कुछ पल ऐसे आते हैं जहां कहानी कुछ धीमी और थोड़ा बोर करती नज़र आती है। अंत में ज़बरदस्त परफॉरमेंस और दमदार एंटरटेनमेंट वैल्यू के लिए 'लूडो' जरूर देखनी चाहिए जिसकी चारों कहानियां आपका खूब मनोरंजन करती हैं|
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