Chhalaang Review: मनोरंजक है राजकुमार की लूज़र से विनर बनने तक की छलांग

Friday, November 13, 2020 15:54 IST
By Santa Banta News Network
निर्देशक: हंसल मेहता

कास्ट: राजकुमार राव, नुश्रत भरुचा, मोहम्मद ज़ीशान अयूब, सौरभ शुक्ला, जतिन सरना, सतीश कौशिक, इला अरुण

रेटिंग: ***

प्लेटफार्म: अमेज़न प्राइम

राजकुमार राव बॉलीवुड के युवा वर्ग के सबसे बेहतरीन कलाकारों में से एक हैं जो अपनी हर फिल्म और हर परफॉरमेंस से फैन्स के लिए कुछ नया ही लेकर आते हैं | इस बार उनके साथ आई हैं नुश्रत भरुचा, फिल्म है हंसल मेहता की सामाजिक-कॉमेडी ड्रामा छलांग और अमेज़न प्राइम पर आज रिलीज़ हुई ये फिल्म आखिर छलांग लगा पाएगी या नहीं आइये ज़रा देखें |

भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई कमियाँ है जिनमें से एक है सरकारी और छोटे स्कूलों में बच्चों के शारीरिक विकास पर ध्यान न देना | इन स्कूलों में स्पोर्ट्स उर्फ़ पीटी टीचर्स सिर्फ नाम मात्र के लिए होते हैं जो काम कम और आराम ज्यादा करते हैं | अगर आप भी ऐसे ही किसी स्कूल में पढ़े हैं तो आप जानते हैं क्या बात हो रही है, और ऐसे ही एक स्कूल टीचर की कहानी है हंसल मेहता की छलांग |

महिंदर हुड्डा और मोंटू (राजकुमार राव) हरियाणा के एक छोटे से शहर के सेकेंडरी स्कूल में पीटी टीचर है | ऐसे स्कूलों के ज़्यादातर पीटी टीचर्स की तरह वह भी बच्चों अपने काम और बच्चों की शारीरिक शिक्षा व विकास में ख़ास दिलचस्पी नहीं रखता और अपने पीरियड दुसरे टीचर्स को दे देता है | मोंटू बहुत ही आलसी है जिसकी नौकरी इस स्कूल में उसके पिता कमलेश हुड्डा (सौरभ शुक्ला) के कहने पर लगी है जिन्होंने स्कूल की प्रिंसिपल (इला अरुण) से बात करके अपने बेरोजगार बेटे को रोज़गार दिलवाया है |

मोंटू खुद भी इसी स्कूल से पढ़ा है जहां उसके टीचर रह चुके मास्टर जी (सौरभ शुक्ला) से उसकी खूब पटती है और उसका एक दोस्त भी है डिम्पी (जतिन सरना) जो हलवाई का काम करता है | मोंटू की ज़िन्दगी बदलती है जब स्कूल में एक नयी कंप्यूटर टीचर नीलिमा (नुश्रत भरुचा) आती है जिसे पहली बार में ही मोंटू पसंद करने लगता है | मोंटू नीलिमा से दोस्ती कर लेता है और उसके प्यार की ट्रेन आगे बढ़ ही रही होती है जब स्क्रीन पर एंट्री होती है मोंटू के कबाब में हड्डी मिस्टर सिंह (मोहम्मद जीशान अयूब) की |

मिस्टर सिंह को स्कूल में नए पीटी टीचर की पोस्ट मिली है और मोंटू को अब उनके अंडर काम करना है | इसके बाद खुद को मिस्टर सिंह से ज्यादा काबिल साबित करने और नीलिमा का प्यार और समाज में इज्ज़त तीनो पाने के लिए मोंटू सिंह से स्पोर्ट्स कम्पटीशन के लिए चैलेंज करता है जिसमे जीत जिसकी होगी सब कुछ उसी को मिलेगा | अब क्या मोंटू अपनी इज्ज़त, नौकरी और प्यार दोनों बचा पाएगा या नहीं ये है छलांग की बाकी की कहानी |


हंसल मेहता की छलांग रोमांटिक-कॉमेडी के चश्मे के ज़रिये देश के सरकारी स्कूलों में स्पोर्ट्स और पीटी की खस्ता हालत की कड़वी सच्चाई आपके सामने रखती है जो की मनोरंजन तो करती ही है साथ ही सामाजिक सन्देश भी देती है जो आपको सोचने पर मजबूर करता है | सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि आज भी माता-पिता का स्कूल में बच्चों के खेल-कूद से ज्यादा किताबी ज्ञान पर ध्यान देने की पुरानी सोच को भी सामने रखा गया है जो स्चूलों में स्पोर्ट्स की बदहाली के लिए दोषी है |

राजकुमार राव की परफॉरमेंस हर बार की तरह शानदार है और मोंटू के रोल में वे आलसी, मज़ेदार, रोमांटिक और जुनूनी भी लगते हैं| मोंटू की पलव इंटरेस्ट और प्रेरणा 'नीलिमा' के किरदार में नुश्रत भरुचा का प्रदर्शन भी उम्दा है और उन्होंने किरदार को अपना टच दिया है |

फिल्म में दमदार सह कलाकार हैं जिनमें मोंटू के पुराने टीचर और दोस्त के रोल में सौरभ शुक्ला, उसके पिता के रूप में सतीश कौशिक हंसाते भी हैं और सीरियस सिचुएशन में भी अच्छे लगते हैं | मोंटू के प्रतिद्वंदी मिस्टर सिंह के रोल में मोहम्मद ज़ीशान अयूब का किरदार भी मज़बूत है | इला अरुण, बलजिंदर कौर और जतिन सरना भी अपने किरदारों में फिट बैठते हैं |

फिल्म की कमज़ोरी है लव रंजन की कहानी, जो की है तो ठीक मगर आपको पहले से ही पता होता है की आगे क्या होने वाला है, कहानी क्या मोड़ लेगी और अंत में जीत किसकी होगी | फिल्म के किरदारों की हरयाणवी नकली सी लगती है हिंदी से हरियाणवी और हरियाणवी से हिंदी का ट्रांजीशन भी अजीब लगता है | छलांग का संगीत औसत है और बैकग्राउंड म्यूजिक भी अपना काम ठीक से करता है |

कुल मिलाकर छलांग में जो कमियाँ हैं उन्हें फिल्म की कहानी और कलाकारों का बढ़िया प्रदर्शन देख कर नज़रंदाज़ किया जा सकता है | फिल्म भारतीय एजुकेशन सिस्टम की कमियों को उजागर भी करती है वो भी मनोरंजक तेरीके से जो आपको ज़्यादातर समय बाँध कर रखने में कामयाब है| राजकुमार राव और नुश्रत भरुचा की फ्रेश जोड़ी अच्छी लगी है और सौरभ शुक्ला, सतीश कौशिक, और मोहम्मद ज़ीशान अयूब भी कहानी को दिलचस्प बनाते हैं | ये फिल्म आपको अपने बचपन की याद ज़रूर दिलाएगी जिसे एक बार ज़रूर देखना चाहिए|
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