Suraj Pe Mangal Bhari Review: बढ़िया फैमिली एंटरटेनर हैं मनोज बाजपेयी-दिलजीत दोसांझ की फिल्म

Monday, November 16, 2020 17:28 IST
By Santa Banta News Network
निर्देशक अभिषेक शर्मा

कास्ट: मनोज बाजपेयी, दिलजीत दोसांज, फातिमा सना शेख, सुप्रिया पिलगांवकर, मनोज पाहवा, अनु कपूर

रेटिंगः ***

कोरोना काल बॉलीवुड की कुंडली में जैसे एक ग्रह बनकर आया था| इसकी वजह से एक तो सिनेमाघर और फिल्मों की शूटिंग बंद हुईं, फिर ओटीटी प्लेटफॉर्मों पर ज्यादातर ऐसी फिल्में आई जिनको देखकर दर्शक मनोरंजन के लिए तरस गए थे| मगर इस बीमारी के कम होते ही इस साल की दीवाली पर सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली पहली फिल्म बड़ी फिल्म बनी है 'सूरज पे मंगल भारी'| तेरे बिन लादेन और परमाणुः द स्टोरी ऑफ पोखरण जैसी सफल फिल्मों का निर्देशन कर चुके अभिषेक शर्मा की यह फिल्म आपके देखने लायक है के नही आइये ज़रा डालें एक नज़र |

'सूरज पर मंगल भारी' फिल्म की कहानी एक ऐसे वेडिंग जासूस के इर्द-गिर्द घुमती है, जो दूल्हा-दुल्हन के रिश्तों के बीच एक अहम भूमिका निभाता है| वह लड़की के परिवार वालों को दूल्हे के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देने की ज़िम्मेदारी लेते हुए अलग-अलग रूप धारण करके प्रूफ इक्कठा करता है| फिल्म आपको समय में कुछ पीछे लेकर जाती है क्यूंकि इसकी कहानी 90 के दशक में स्थित है जहां एक मैरिज डिटेक्टिव मंगल राणे (मनोज बाजपेयी) को ये बात नहीं पचती की किसी भी लड़के का घर एक अच्छी लड़की के साथ बसे | इस कारण से मंगल अपने जासूसी दिमाग को काम पर लगा कर जिनकी शादी होने वाली हो ऐसे लड़कों के बारे में सभी बुरी बातें और कमियाँ तलाश कर लड़की वालों के सामने रख देता है जिससे लड़कों की शादियाँ टूट जाती हैं |

अब मंगल के ये काम करने के पीछे कारण है उसका अधूर प्यार, मंगल जिस लड़की (नेहा पेंडसे) से प्यार करता था (नेहा पेंडसे) उसकी शादी किसी और लड़के से कर दी गयी थी जिसके साथ वह खुश नहीं रही | बस इसी के बाद से मंगल ने बीड़ा उठाया अपने शहर की लड़कियों को बैड बॉयज़ से बचाने का और लड़कों के रिश्ते तुडवाने का | लेकिन कहानी में मज़ेदार मोड़ तब आता है जब मंगल, सूरज (दिलजीत दोसांज) की शादी तुड़वा देता है | सूरज को ये बात बिलकुल भी रास नहीं आती है और वह भी बदला लेने की ठान लेता है मगर एक और ट्विस्ट तब आता है जब सूरज को मंगल की ही बहन तुलसी (फातिमा सना शेख) से प्यार हो जाता है | अब क्या सूरज तुलसी से शादी कर पाएगा या नहीं, और कौन किस पर भारी पड़ेगा ये जानने के लिए आपको पड़ेगी ये फिल्म |


निर्देशक अभिषेक शर्मा की फिल्म की कहानी तो अच्छी है मगर इसकी रफ़्तार शुरुआत से ही कुछ धीमी रहती है, खासकर फर्स्ट हाल्फ में | 90 के दशक में सेट होने के कारण जहां फिल्म दिलचस्प भी लगती है वहीँ कुछ पुरानी से भी नज़र आती है | हालांकि फिल्म की पटकथा अच्छी है जो सेकोदं हाफ में इसे रफ़्तार पकड़ने में मदद करती है और कई मज़ेदार और कॉमेडी भरे पल आपको देती है जो मनोरंजन का सिलसिला बना कर रखते हैं |

फिल्म के सभी कलाकारों ने अपने किरदार बखूबी निभाए है, डायलॉग्स के मामले में दलजीत दोसाझ की भूमिका मनोज बाजपेयी पर हावी होती नज़र आए हैं | उनके पंच जबरदस्त हैं जो काफी मनोरंजक लगते हैं| फिल्म के पहले सीन से लेकर आखिरी तक वह दर्शकों को हंसाते दिखाई दिए हैं| वहीँ मनोज के किरदार के अलग-अलग रंग-रूप उन्हें आकर्षण का केंद्र बना कर रखते हैं | सुरज पे मंगल भारी में मनोज के इतने अवतार देखने को मिले हैं जितने शायद ही आज तक कभी देखे गए हों| मराठी महिला के रूप में वह आपको आकर्षित करने और फिल्म से बांधे रखने में कामयाब रहे हैं|


इनके अलावा फिल्म में फातिमा के भी दो अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं और वे दोनों ही अवतारों में एंटरटेन करती हैं| अन्नू कपूर भी अपनी उपस्थिति से फिल्म में जान डालते हैं तो सुप्रिया पिलगांवकर, मनोज पाहवा, सीमा पाहवा, विजय राज़ और नेहा पेंडसे जैसे कलाकार भी कहानी का खूब साथ देते हैं|

फिल्म का संगीत कमज़ोर है जिसे काफी बेहतर बनाया जा सकता है | कुछ दृश्यों को छोड़ कर फिल्म साफ़-सुथरी ही है तो इसे परिवार के साथ आराम से देख सकते हैं|

कुल मिलाकर सूरज पे मंगल भारी एक औसत फैमिली एंटरटेनर है जो आपको आपको हंसाने में कामयाब रहती है| फिल्म का प्लस पॉइंट है मनोज बाजपेयी और दिलजीत दोसांझ जो अपनी एक्टिंग और कॉमिक टाइमिंग से फिल्म को उठा कर रखते हैं | कोरोना के बाद परिवार के साथ सिनेमाघर में जा के कोई फिल्म देखना चाहते हैं तो अभिषेक शर्मा की ये फिल्म आपका मनोरंजन ज़रूर करेगी, जा सकते हैं|
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